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षड् द्रव्य विचार. (१७) आओने ग्रहण करी नवा शरीर रुप बंधने नीपजावे छे, केटलाएक पुद्गल परमाणुआवळी ग्रहण करी पाछा खेरवे छे, एम व्यव: हार नये करी अनादि काळथी जीवपुद्गलने परिणमनपणानी घटमाल समये समये चाली रही छे. शुभ पुद्गलनो संबंध थवाथी जीव सुख माने छ, अने अशुभ पुद्गलनो संबंध थवाथी जीव दुःख माने छे, ते पुण्य पापरुपे जाण( पण ए स्ववस्तु नथी ए रीते व्यवहार नयथी जीव अने पुद्गल ए बे द्रव्य परिणामी छे.
हबे छ द्रव्यमां जीव द्रव्य केटला अने अजीव द्रव्य केटला ते वतावे छे, नाणंचदंसगंचेव चरित्तच तवोतहा, वीरियंउबआगोत्र