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षड् द्रव्य विचार.
अनंत छे. जे लोकाकाशना एकेक प्रदेशमां धर्म द्रव्य तथा अधर्म द्रव्यनो अकेक प्रदेश रह्यो छे. ते कोइ काले बिछडशे नही. माटे अ नादि अनंत जाणवो. आकाश क्षेत्र लोक सर्व अने जीव द्रव्यनो अनादि अनंत संबंध जा वो. अने संसारी जीव कर्म सहीत तथा लोकना प्रदेशनो सादिसांत संबंध छे. लोकां त सिद्धक्षेत्रना सिद्ध जीवानो आकाश प्रदे साथे सादि अनंत संबंध छे. लोकाकाश अने पुद्गल द्रव्यनो अनादिअनंत संबंध जाणवो. आकाश प्रदेशनी साथै पुद्गल परमाणुनो सादिसांत संबंध जाणवो. एम आकाश द्र व्यनी पेठे धर्मा स्तिकाय तथा अधर्मा स्ति काय द्रव्यनो पण संबंध जाणवो. तथा नि