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बद् हव्य विचार.
यल पाल्यु होय तो आवता भवमां देवता थाऊ, वा अमुक थाउ, चक्रवर्तिथाउ, राजाथाउ, अमुकनो नाश करनार थाऊ, एवी आगला भवनी जे वांछा. ते अग्रशोच क
हीए.
आर्तध्यायना चार पाया थकी जीव तिर्यचनी गतिमां जाय छे. माटे भव्य प्राणीयोए ए ध्यान थकी दूर रहेg, आर्तध्यान रुप शत्रुनो मनमां वास करवा देवाथी आस्मानी अनंतिरिद्धिनो नाश थाय ले. आ आत्मा अनंतोकाळ ए आर्तध्यानी रजळ्यो अने हजी जो एनो संग नहीं मूके तो घणा भव भटकशे. जे आर्तध्थानने शत्रुरुप जाणे छे. ते तेनाथी दुर रहेवा अंतःकरणी म