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पड द्रव्य विचार.
कर्मनो विपाक चिंतबे जे-जीवनो ज्ञानगुणते शानावरणीय कर्मे दाब्यो छे, जीवनो दर्शन गुण ते दशना वरणीय कर्मे दाब्यो छे. जीबनो अव्यावाध गुण ते वेदनी कर्मे रोक्यो छ. जीवनोक्षायक गुण ते मोहनी कर्मे रोक्यो छे. जीवनो अक्षयस्थितिरुप जे गुणते आयुष्य कर्मे दाब्यो छे. जीवनो अरूपी गुपते नामकर्मे दाब्यो छे. जीवनो अगुरु ल. घु गुणते गोत्र कर्मे दाब्यो छे. अने जीवनो अनंत वीर्य गुण ते अंतराय कर्मे रोक्यो छे. एम आत्माना आठ गुण ते आठ कर्मे रोक्या छे. आ संसारमा भमतां थकां जे जीबने सुख दुःख छे ते कर्मे करीछे माठे सुखपौद्गलिक उत्पन्न यये छते खुशी थर्बु नहीं,