Book Title: Shaddravya Vichar Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 175
________________ ( १६४ ) पड् द्रव्य विचार. - - - - 10 nep कायाना दुप्रणिधानथी तेमज क्रोधमान माया, लोभ, तथा हास्य रति, अरति, शोक, भय दुगंछा स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंशकवेद, ए आदिथी आत्मानी साथे आश्रव लागेछ, जीव अनादि काळधी आश्रवना ग्रहण करवाथी चार गतिमा भम्या करे छे, अने तेथी अनेक प्रकारनां दुःख पामे छे. ए आश्रय महा दुःखदाइ छे. आत्मानो अहित कर्ता छे, माटे तेनाथी हे चेतन तुं दुर रहे एम विचार ते अश्रवभावना. आयनो संबंध म. भवि जीवने अनादि अनंत छे अपने भपिजीबने अनादि सांत छे. ८ आश्रवनो जेनाथी रोध शाय लेने संबर कहे छे. हे जीव इयर्यासमिति, भावास

Loading...

Page Navigation
1 ... 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196