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षड् द्रव्य विचार.
( १५५)
म बीजा जीवोने पण कर्म लाग्यां छे. पण आत्मा तो सर्वना सरखा, अरुपी, अनंतज्ञान, दर्शन, चारित्रना भोकता छ. अमे सर्वे जीव गुणे करी एक सरखा छीए. सजातीय छीए. माटे सर्वे जीव मारा मित्र छ. एम भावना भावे ते मैत्री भावना कहीए. सर्व जीव उपर हितबुद्धि राखवी तेने मैत्री भावना क
२वीजी प्रमोद भावना कहे छे. गुण. वंत अने ज्ञानादिक ऊपर राग तेने प्रमोद भावना कहे छे. धर्म करता जीवोने देखी खुशी थाय. ज्ञानवंस वैरागी मुनीओने देखी हर्ष धरे. तथा दश द्रष्यते दोहीलो मनुष्य जन्म पामीने श्रावक कुल अवतार आदि हुं