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षड् द्रव्य विचार
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रणाद्यारोप.
वळी संकल्प नैगमना बे भेद छे १ स्वपरिणामरुप जे वीर्य चेतनानो जे नवो नवो क्षयोपशम लेवो ते. २ कार्यातराये नवे नवे का. ये नवो नवो उपयोग थाय ते. ए बे भेद थया. तथा अंश नैगमना पण वे भेद छे. १ भिन्नांशते जुदो अंश, स्कंधादिकनो, बीजो अभिन्नांश ते जे आत्माना प्रदेश तथा गुणना अविभाग इत्यादिक ए सर्व नैगम नयना भेद जाणवा.
(२) हवे संग्रह नये कहेछे.
सामान्य वस्तु सत्ता संग्राहकः संग्रह स द्वि विधः सामान्य संग्रहः विशेष संग्रहश्च सामान्य संग्रहो द्विविधः मूलतऊत्तरश्च मूलतो