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षड् द्रव्य विचार. (७९) ३ जे अनेक जीवरुप अनेक व्यक्ति छे ते सर्वमां पामीए, जेम सत् चित्मयो आत्मा एटले सर्व जीव तथा सर्व प्रदेश अने सर्व गुण ते जीवनां लक्षण छे ते अनुगम संग्रह नय कहीए.
जेना ना कहेवाथी तेनाथी ईतरनो सर्व संग्रहपणे ज्ञान थाय ते जेम अजीव छे तेवारे जे जीव नही ते, अजीव कहीए एटले कोइक जीच छे एम व्यतिरेक वचने ठयों तथा उपयोगे जीवनो संग्रह थाय छे, ते व्यतिरेक सं. ग्रह कहीए.
एक नाम लीधाथी सर्व गुण पर्याय परिवार सहीत आवे ते संग्रह नय जाणवो.
द्रष्टांत-जेम कोईक मन्युष्ये प्रभाते दा