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षड् द्रव्य विचार.
विशेषावश्यक महाभाष्यमां व्यवहार न
यना मुल बे भेद छे.
१ वहेचणरुप व्यवहार.
२ प्रवृतिरूप व्यवहार. प्रवृति व्यवहारना त्रण भेद छे, वस्तु प्रवृत्ति, साधनप्रवृत्ति, लौकीक प्रवृत्ति तेमां वळी साधन प्रवृतिना त्रण भेद छे,
जे अरिहंतनी आज्ञाये शुद्ध साधन मार्गे इह लोक संसार पुद्गल भोग आ संसादि दोष रहीत जे रत्न त्रयीनी परिणति परभव त्याग सहीत ते लोकोत्तर साधन प्र वृत्ति नामे पेहेलो भेद जाणवो.
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२ स्याद्वाद विना मिथ्याभि निवेष सहीत साधन प्रवृति ते दुमावचनिक- साधन