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पड़ द्रव्य विचार.
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सूत्र ५ शब्द ६ समभिरुढ ७ एवंभूत ए सात नय नांना जाणवां.
(१) नथी एक गमो ते जेनो तेने नैगम नय केहे छे, गुणनो एक अंश उपन्यो होय तो नैगम नय कहीए, जेम कोइ मनुष्यने चार आनी लाववानुं मन थंयुं तेवारे बगडामां लाकडां लेवा चाल्यो, तैने रस्तामां बीजो कोइ माणस भेगो थयो तेणे पुछयु के, तुं कयां जाय छे तेवारे तेणे कयुं के हुं, पावली लेवा जाउछु. ते पावली तो हजु घडी नथी पण मनने विषे चितव्यं ते थइ एम गंण्युं. तेम नैगम नय सर्व जीवने सिद्ध समान कहे ले. कारण के सर्व जीवोना आठ रुचक प्रदेश निर्मळ सिद्ध रुप छे, तेथी एक अंशे शिद्ध छे,