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( ६६६. हेवाने भाव कहे छे. सर्व द्रव्यमा भोक स्व. भव छे. तापमय काया जाय नहीं माटे मांहो मांहे नये करी संक्षेपपणे कहे छे.
मुळ नयना बे भेद छे एक द्रव्यार्थिक अने बीजो पर्यायाथिक. तेमां उत्पाद व्यय पर्यायना गौण पणे अने प्रधानपणे द्रव्यनो गुण सत्ताने आहे ते द्रव्यार्थिक नय कहीए तेना दश भेद छे.
१ सर्व द्रव्य नित्य छे ते नित्य द्रव्यार्थिक.
२ अगुरु लघु अने क्षेत्रनी अपेक्षा न करे मुळ गुणने पिंडपणे ग्रहे एक ते द्रव्यार्थिक
३ ज्ञानादिक गुणे सर्व जीव एक सरीखा छ माटे सर्व जीवने एक कहे स्वद्न्यादिकने अहे ते सत् द्रव्यार्थिक जेम सत् लक्षणं द्रव्यं