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षड् द्रव्य विचार. (६५ ) श्चय नये करी छए द्रव्य स्वस्वभावे परीणमी रह्या छे ते परीणामी पणो सदा शाश्वतो छ ते माटे अनादि अनंत छे.
जीव द्रव्य तथा पुद्गल द्रव्य बने मळी संबंधपणाने पामे छे, ते परपरिणामी पणे छे. ते परपरिणामीपणु अभव्य जीवने अनादि अनंत छे. अने भव्य जीवने अनादि सांत छे अने पुद्गलनो परिणामीपणो ते सत्ताए अ. नादि अनंत छे. अने पुद्गलनु मळवू विखर ते सादिसांत भांगे जाणवू. जीव द्रव्य पुद्गल साथे मिल्यो सक्रिय छे. अने पुद्गल द्रव्यथी रहीत थाय ते वारे जीव द्रव्य अक्रिय छे. अने पुद्गल द्रव्य सदा सक्रिय छे.
हवे एक अनेक पक्षथी निश्चय ज्ञान क