________________
(१६)
षट् द्रव्य विचार.
काल ए चार द्रव्य अपरिणामी छे. अने जीव तथा पुद्गल ए बे द्रव्य परिणामी छे. केमके व्यवहार नयने मते जीव समये समये अनंतां कर्मरुप वर्गणानां दळीयां लीए छे, अने समये समये अनंता कर्मरुप वर्गणानां दळी खेरवे छे, पण जो निश्चय नये करी कर्मनुं ग्रहण जीव करतो होयतो कोइकाले कर्मथकी रहीत थाय नही. आत्माजेतेराग अने द्वषे करी परद्रव्यमा परिणमे छे, रागद्वेष रुप अज्ञाननी अशुद्धताए करी पुद्गल परमाणुआने ग्रहण करे छे, अने मनुष्य देवता नारकी अने तीर्यचना शरीर रुप खंध प्रते नीपजावे छे. ते खंध स्थिति प्रमाणे रहे छे, वळी पाछा खेरवे छे. वळी बीजा परमाणु