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षड् द्रव्य विचार.
(४९)
णु छे. अने सर्व परमाणुमा पुद्गलपणुं ते एकज छे. माटे एक छे. जीव द्रव्य अनंता छ, एकेका जीवमा प्रदेश असंख्याता छे. तथा गुण अनंता छे पर्याय अनंता छे, ते अनेक पणुं छे, पण जीवीतव्य सर्व जीबोमां एक सरखो छ, माटे एकपणुं छे.
इहां शिष्य पुछे छे जे-सर्व जीव एक सरीखा छे तो मोक्षना जीव सिद्ध परमानंद मयी देखाय छे, अने संसारी जीव कर्मवश पडया दुःखी देखाय छे, अने ते सर्व जुदा जुदा देखाय छे, तेनु केम ? तेहने उत्तर आपे छ के-निश्चय नये तो सर्व जीव सिद्ध सगान छे, माटेज सर्व जीव कर्म खपावी सिद्ध थाय छे, तेथी सर्व जीवनी सत्ता एक छे व