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( ५० ) षड् द्रव्य विचार. की शिष्य पुछे छे के जो सर्व जीव सिद्ध स
मान कहो छो तो अभव्य जीव पण सिद्ध स__मान छ एम ठर्यु, अने तेतो मोक्ष जाता न
थी, तेनु केम? तेने उत्तर आपे छे जे-अभव्य ने कर्म चीकणां छे, अने अभव्यमा परावर्त धर्म नथी, तेथी सिद्ध थता नथी. अभव्य ने कर्मनो संबंध अनादि अनंतमे भागे छे, तेथी कोइ काले ते मोक्ष जशे नही. अने भव्य जीवमां परावर्त धर्म छे माटे कारण सामग्री मीले पलटण पामे गुण श्रेणी चढीने सिद्ध थाय छे. पण आत्माना आठ रुचक प्रदेश निश्चय नयथी भव्य तथा अभव्य सर्वना सिद्ध समान छे, माटे सर्व जीवनी सत्ता एक सरखी छे कारण के ए आठ रुचक प्र