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( ५६ ) षड् द्रव्य विचार. भाग श्री गणधर देवे सूत्रमा गुंथ्यो, ते सू. त्रमा गुंथ्यो तेने असंख्यातमे भागे हमणां आगम रह्यां छे. ए छ द्रव्यमांआठ पक्ष कह्या.
हवे नित्य तथा अनित्य पक्षथी चतुर्भगी उपनी ते बतावे छे. जेनी आदि नथी अने अंत नथी ते अनादि अनंत पहेलो भागो जाणवो. तथा जेनी आदि नथी पण अंत छे, ते अनादि सांत बीजो भागो जाणवो. तथा जेनी आदि पण छे अने अंत पण छे, ते सा दि सांत त्रीजो भागो जाणवो. वळी जेनी आदि छे, पण अंत नया, ते सादि अनंत नामे चोथो भागो जाणवो.
हवे ए चार भांगा छे ते द्रव्यने केवी रीते लागे छे, ते बतावे छे.