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षड् द्रव्य विचार. (५९) छे.जीव पुदगलनोसंबंध अभव्यने अनादि अनंत छे. भव्य जीवने अनादि सांत छे. पुदगलना खंध सर्व सादि सांत छ. जे खंधबंधाया ते स्थिति प्रमाणे रही खीरे छे, वळी नवा बंधाय छे. माटे सादी अनंत भांगो पुद्गल द्रव्यमां नथी. __काल द्रव्यमां गुण चार अनादि अनंत छे. पर्यायमां अतीत काल अनादि सांत छे. अने वर्तमानकाळ सादि सांत छे. अनागत काळ सादि अनंत छ. ए कालर्नु स्वरुप सर्व उपचारथी छे. एवी रीतेकाल द्रव्यमां चो भंगी जाणवी.
हवे द्रव्य क्षेत्र काल तथा भावमांचो भं गी कहे छे.