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षड् द्रव्य विचार.
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ते अना
जीव द्रव्यमां ज्ञानादिक गुण दि अनंत ले. नित्य छे. पण भव्य जीवने कर्म साथै संबंध अनादि छे. पण सिद्ध थाय ते ते वारे अंत आवे छे. तथा ए अनादि सांत बीजा भांगो जाणवा. अने देवता मनुष्य ती यैच, नारकी प्रमुखना भव करवा, ते सादि सांत भांगो ले. अने जे जीव कर्म खपावी मो क्षे गया तेनी मोक्षपणे आदी छे. अने पाछु संसारमां कोइ वखत आवकुं नथी माटे अंत नथी, तेथी ए सादि अनंत भांगो छे. अभ व्य जीव साथे कर्मनो संबंध अनादि अनंत छे. जीव द्रव्यना चार गुण अनादि अनंत ले. जीवने कर्म साधे संयोग ते अनादि सांत छे, पण अभव्यने नही. अभव्यने कर्म संयोग