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पड द्रव्य विचार.
( १९ )
संसारी, तेमां सिद्धना जीव अमूर्तिमंत छ. अने संसारी जीवो कर्मोपाधिथी मूर्तिमंत छ. निश्चय नये करी तो जीव अरुपी माटे अमूर्ति कहीए, अने व्यवहार नये करी देवता मनुष्य तीर्येच अने नारकी रुप जीवना पांचसे त्रेसठ (५६३) भेद थाय छे, ते सर्वे मूर्तिरुपे जाणवा. पुद्गल द्रव्यनो व्यवहार नयने मते अनंता परमाणुआ मळी खंध बने छे, तेवारे नजरे दीठामां आवे छे, माटे एने मूर्त केहेवाय छे. छ द्रव्यना स्वरुपमां मूर्त अमूर्तनो विचार को.
हवे सप्रदेशी अने अप्रदेशीना वीचार कहे छे,
छ द्रव्यमां पांच द्रव्य समदेशी छे, अने