________________
पड द्रव्य विचार.
( ५३ )
नो नाश देखी रडे छे, कुटे छे, शेक करेछे, अने तेने माटे पोताना प्राणनो पण नाश करे छे. अने तेने पोतानुं मानी ते पावनों अधि कारी पोते थाय छे, एरीते उपचरित व्यवहार नये जीवने कर्ता जाणवो.
हवे छठ्ठा अनुपचारित व्यवहार नये करी जीव शरीरआदि, परवस्तु जे पोताना स्वरुपथी प्रत्यक्ष पणे जुड़ी छे, पण परिणामिक भावे लोली भृत पणे एकठी मली रही छे, तेने जीव पोतानी करी जाणे छे, पण एवां शरीर, आ जीव अनंतीचार पाम्यो, अने अनंतीवार ते शरीरोनो त्याग कर्यो, तोपण अज्ञानपणे आ जीव तेने पोतानु करी जाणेछे, नेने वास्ते अनेक प्रकारनी हिंसा करे छे, अ