Book Title: Satya Darshan
Author(s): Amarmuni, Vijaymuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 8
________________ स्वर्गस्थ आत्मा :. सेठ पदम चन्द जी चपलावत की पुण्यमयी स्मृति में 'सत्य-दर्शन' का प्रकाशन, सेठ पदम चन्द जी चपलावत के ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रेमचन्द जैन चपलावत तथा उनकी ज्येष्ठा पुत्रवधू सौभाग्यवती हेमलता चपलावत ने कराया है। उनके पौत्र रवि श्री प्रेमचन्द जैन और अतुल की शुभ भावना भी साथ में रही है। शुभ कृत्य के संकल्प को शीघ्र ही पूरा करना मनुष्य के कर्तव्यों में प्रथम कर्तव्य माना गया है। श्री प्रेमचन्द जी चपलावत धर्म और समाज-सेवा के कार्यों में सदा अग्रसर रहते हैं । अपने व्यवसाय के व्यस्त क्षणों में भी वे अपने कर्त्तव्य-पालन में कभी प्रमाद एवं आलस्य नहीं करते। आगरा की अनेक संस्थाओं के संचालन में आपको सफलता प्राप्त है। श्री प्रेमचन्द जी चपलावत ने अपने पिताश्री की पुण्य स्मृति में 'सेठ पदमचन्द जैन इन्स्टीट्यूट ऑफ कॉमर्स, बिजनेस मैनेजमैन्ट एण्ड इकॉनोमिक्स' का निर्माण कराया। एम. बी. ए. शिक्षा की सुविधा आगरा में अभी तक उपलब्ध नहीं थी। यह भवन बनाकर आगरा विश्वविद्यालय को दान-स्वरूप दिया है तथा इस भवन में एम. बी. ए. की शिक्षा राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है। 'श्री एस. एस. जैन संघ' मोतीकटरा के आप अध्यक्ष हैं और समाज की सेवा में अपना योगदान देते रहते हैं । आपकी लोकप्रियता का यह प्रबल प्रमाण है । लोक-जीवन में आपने अपने पिता जी से भी अधिक कीर्ति प्राप्त की है। अतः प्रेमचन्द जी चपलावत, अपने स्वर्गस्थ पिता के अतिजात पुत्र कहलाने के अधिकारी हैं। वर्तमान में आप 'सन्मति ज्ञान-पीठ' के अध्यक्ष हैं। उसकी प्रगति एवं विकास हेतु आपने पूज्य गुरुदेव, राष्ट्र-सन्त, उपाध्याय अमर मुनि जी की प्रवचन-पुस्तक 'सत्य दर्शन' का प्रकाशन कराया है। ६ अक्टूबर, १९९४ -विजय मुनि शास्त्री जैन भवन, मोती कटरा, आगरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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