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अथैवमपि कथञ्चित्सत्त्वापेक्षया क्रमार्पितोभयस्य को भेदः ? न हि प्रत्येकघटपटापेक्षया घटपटोभयं भिन्नम् इति चेन्न
शङ्काः-अब कदाचित् यह कहो कि कथञ्चित् सत्त्वकी अपेक्षा क्रमसे योजित सत्त्व असत्त्व कैसे भिन्न हो सकते हैं ? अर्थात् जैसा कथंचित् सत्त्वका रूप है वैसाही क्रमसे योजित सत्त्वासत्त्वमेंभी सत्त्वका रूप है तो क्रमयोजित उभयके सत्त्वका कथञ्चित् सत्त्वकी अपेक्षासे क्या भेद है ? क्योंकि प्रत्येक घटपटकी अपेक्षासे क्रमयोजित घट पट उभयमें घट पट भिन्न नहीं हैं । ऐसी शङ्काभी युक्त नहीं है । । प्रत्येकापेक्षयोभयस्य भिन्नत्वेन प्रतीतिसिद्धत्वात् । अतएव-प्रत्येकघकारटकारापेक्षया क्रमार्पितोभयरूपं घटपदमतिरिक्तमभ्युपगम्यते सर्वैः प्रवादिभिः । अन्यथा प्रत्येकघकाराद्यपेक्षया घटपदस्याभिन्नत्वे घकाराद्युच्चारणेनैव घटपटज्ञानसम्भवेन घटत्वावच्छिन्नोपस्थितिसम्भवाच्छेषोच्चारणवैयर्थ्यमापद्येत । अतएव प्रत्येकपुष्पापेक्षया मालायाः कथञ्चिद्भेदस्सर्वानुभवसिद्धः । इत्थं च कथञ्चित्सत्त्वासत्त्वापेक्षया क्रमार्पितोभयमतिरिक्तमेव ।। __ क्योंकि प्रत्येककी अपेक्षासे उभयरूप समुदायका भेद अनुभवसिद्ध है । इस हेतुसे प्रैत्येक घकार तथा टकारकी अपेक्षासे क्रमसे योजित धकार टकार एतत् उभय समुदायरूप घट इस पदको सब वादियोंने भिन्न माना है । और यदि प्रत्येक धकार तथा . टकार आदिकी अपेक्षासे घट पदको अभिन्न मानो तो केवल धकारादिके ही उच्चारणसे घटपदके ज्ञानके सम्भव होनेसे घटत्व अवच्छिन्न उपस्थितिका संभव है तो शेषका उच्चारण व्यर्थ होगा । इसी हेतुसे प्रत्येक पुष्पकी अपेक्षासे मालाका कथञ्चित् भिन्नरूपसे अनुभव सर्वजनप्रसिद्ध है. इस प्रकार माननेसे कथञ्चित् सत्त्वकी अपेक्षा क्रमार्पित उभयरूप भिन्नही है ॥ __ स्यादेतत् , क्रमार्पितोभयापेक्षया सहार्पितोभयस्य कथं भेदः ? क्रमाक्रमयोश्शब्दनिष्ठत्वेनार्थनिष्ठत्वाभावात् । न हि घटादौ क्रमाप्तिसत्त्वासत्त्वोभयापेक्षयाऽक्रमाप्तिसत्त्वासत्त्वोभयमतिरिक्तमस्ति । घटपटोभयाधिकरणे भूतले क्रमार्पितघटपटोभयमेकं सहार्पितघटपटोभयं चापरमिति न केनाप्यनुभूयते ।
अस्तु कथञ्चित् सत्त्वका क्रमसे योजित उभयरूपका भेद सिद्धभी हो परन्तु क्रमसे योजित सत्त्व असत्त्व उभयरूपकी अपेक्षासे सैंह योजित सत्त्व असत्त्व इस उभयरूपका भेद कैसे सिद्ध हो सकता है ? क्योंकि सत्त्व असत्त्वके क्रम वा अक्रम शब्दनिष्ठ हैं अर्थनिष्ठ नहीं हैं । सत्त्व असत्त्व इनकी साथ योजना करो वा क्रमसे, रहेंगे तो सत्त्व असत्त्व येही । इस हेतुसे क्रमसे अर्पित सत्त्व असत्त्व इस उभयरूपकी अपेक्षासे साथ अर्पित इस उभय रूपका भेद नहीं सिद्ध हो सकता । क्योंकि घट आदि पदार्थमें क्रमसे अर्पित सत्त्व असत्त्व उभयरूपकी अपेक्षासे अक्रमसे अर्पित सत्त्व असत्त्व यह उभयरूप भिन्न नहीं है । घट और पट इन दोनोंके आधारभूत भूतलमें क्रमसे योजित घट पट यह उभयरूप और साथ
१ अलग अलग. २ पृथक् एक एक. ३ धकारादिसे शेषभूत टकारादिका उच्चारण, ४ साथ. ५ शब्दमें रहनेवाले. ६ अर्थमें रहनेवाले. ७ साथ.
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