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शब्द अपने द्योत्य अर्थ प्रकाशित होनेकेलिये अन्य द्योतकका सापेक्ष होगा और वह भी द्योतक दूसरेकी अपेक्षा करैगा तो अनवस्था दोष दुर्निवारणीय है, यह कथन भी अनुचित है. क्योंकि 'एवम् एव' यहांपर जो एवम् शब्द है, वह 'ऐसा' इस अपने स्वार्थमात्रका वाचक है इस हेतुसे वहांपर अन्यकी निवृत्तिकेलिये उसको दूसरे द्योतक एव शब्दकी अपेक्षा होनी योग्य है क्योंकि निपातोंका वाचकत्व पक्ष भी शास्त्र सम्मत है । इसी कारण 'उपकुम्भम्' घटके समीप इत्यादि पदोंमें निपातरूप समीप अर्थके वाचक उप शब्दके साथ घट शब्दका समास संगत होता है और यदि उप शब्दको केवल द्योतकता मात्र हो तो घट शब्दके साथ उसका समास न हो क्योंकि द्योतक शब्दके साथ समासका होना असंभव है ।।
अत्र सौगता:-"सर्वशब्दानामन्यव्यावृत्तिवाचकात् घटादिपदैरेव घटेतरव्यावृत्तिबोधनान्न तदर्थमवधारणं युक्तम्” इति वदन्ति । ___ यहांपर सौगत कहते हैं कि, अन्य व्यावृत्ति अर्थात् जिस शब्दका अर्थ कहना है उससे भिन्न जितने शब्द हैं उन सबकी व्यावृत्ति ही जब सब शब्दकी वाचकता है तब घट आदि पदोंसे ही घटसे भिन्न सबकी व्यावृत्तिरूप अर्थका बोध हो जाता है तो उसके लिये अवधारण वाचक एव शब्दका प्रयोग करना योग्य नहीं है ॥ - तन्न-घटादिशब्दाद्विधिरूपतयाप्यर्थबोधस्यानुभवसिद्धत्वात् । यदि च शब्दाद्विधिरूपतयार्थबोधो नानुभवसिद्ध इति मन्यते । तदा कथमन्यव्यावृत्तिशब्दो विधिरूपेणान्यव्यावृति बोधयति । न च-अन्यव्यावृत्तेरपि तदितरव्यावृत्तिरूपेणैवान्यव्यावृत्तिशब्दाबोध इति वाच्यम् । तथा सति तदन्यव्यावृत्तेरपि तदितरव्यावृत्तिरूपेण बोधस्य वक्तव्यतयाऽनवस्थापत्तेरिति । तथा च 'वाक्येऽवधारणं तावदनिष्टार्थनिवृत्तये' इति सिद्धम् ॥
सो यह बौद्धोंका कथन युक्तिपूर्वक नहीं है क्योंकि, घट आदि शब्दोंसे अन्यकी निवृत्तिके सिवाय विधिरूपसे भी अर्थका बोध सबको अनुभवसिद्ध है। 'घट' ऐसा उच्चारण करनेसे घटकी विधिका भी ज्ञान होता है और यदि ऐसा ही मानते हो कि घट आदि शब्दसे विधिरूप अर्थका बोध अनुभव सिद्ध नहीं है तब अन्य व्यावृत्ति यह शब्द विधिरूपसे अन्यकी निवृत्तिरूप अर्थका बोध कैसे कराता है ? कदाचित् ऐसा कहो कि अन्य व्यावृत्ति यह शब्द भी उससे भिन्नकी व्यावृत्तिरूपसे अन्यकी व्यावृत्तिरूप अर्थका बोध कराता है तो यह भी नहीं कह सकते. क्योंकि यदि उससे भिन्न अन्यव्यावृत्ति शब्द भी उससे भिन्न व्यावृत्तिरूपसे और वह अन्य व्यावृत्ति भी अपनेसे भिन्न व्यावृत्तिरूपसे ही अर्थका बोध करावेगा. इसी प्रकार उत्तर उत्तर सब अन्य व्यावृत्ति शब्द उससे भिन्न व्यावृत्ति ही रूपसे अर्थ बोध करावेंगे तो अनवस्था दोष आवेगा क्योंकि विधि न माननेसे अन्यकी
१ प्रकाश होनेके योग्य. २ अवधारणरूप अर्थका द्योतक. ३ बौद्धमतानुयायी. ४ प्रकृत शब्दमें भेद. ५ निराकरणके.६ अनिष्टरूप अर्थकी निवृत्तिकेलिये. ७ सत्त्व. ८ अन्यकी निवृत्ति.
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