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कदाचित् ऐसी शङ्का करो कि जो घट आदि पदार्थ हैं वे सब अपने आधीन द्रव्य क्षेत्र काल तथा भावसे ही हैं न कि अन्यके आधीन द्रव्य क्षेत्र काल तथा भावसे हैं. क्योंकि अन्य द्रव्य क्षेत्रकालादिकी निवृत्ति तो अप्रसङ्ग होनेसे ही सिद्ध है तब इस दशा में स्यात् शब्दका प्रयोग व्यर्थ ही है । यह कथन सत्य है । परन्तु अपने द्रव्य क्षेत्रादिकी अपेक्षासे कथंचित् इस प्रकार अनेकान्तरूप अर्थ शब्दसे भान होता है सो वह अर्थ किस प्रकारके शब्दसे भान होता है, ऐसा विचार उपस्थित होनेपर स्यात् शब्दका प्रयोग किया जाता है | और वह तिङन्तप्रतिरूपक अर्थात् सत्ता अर्थ में 'अस्' धातुका लिङ्लकार में 'स्यात् ' ऐसा रूप होता है उसीके सदृश निपात है |
ननु स्याच्छब्दस्य द्योतकत्वपक्षे केन पुनरशब्देनोक्ताने कान्तस्स्याच्छब्देन द्योत्यते इति चेत्शङ्का - यदि ऐसा कहो कि जब निपातोंका द्योतकत्व पक्ष है तो किस शब्द से कथित अनेकान्तरूप अर्थ स्यात् शब्दसे द्योतित होता है ? क्योंकि द्योतकका तो यह ही अर्थ है कि किसी शब्दसे कथित अर्थको स्पष्ट रीतिसे प्रकाशित कर देना तो किस शब्दसे कथित अर्थको स्यात् प्रकाशित करता है ? तो इसका उत्तर कहते हैं:
अस्त्येव घट इत्यादिवाक्येनाभेदवृत्त्याऽभेदोपचारेण वा प्रतिपादितोऽनेकान्तस्स्याच्छब्देन द्योत्यत इति ब्रूमः । सकलादेशो हि यौगपद्येनाशेषधर्मात्मकं घटादिरूपमर्थ कालादिभिरभेदवृत्त्याऽभेदोपचारेण वा प्रतिपादयति, सकलादेशस्य प्रमाणरूपत्वात् । विकलादेशस्तु क्रमेण भेदप्राधान्येन भेदोपचारेण वा सुनयैकान्तात्मकं घटादिरूपमर्थ प्रतिपादयति । विकलादेशस्य
नयस्वरूपत्वात् ।
'अस्ति एव घटः ' अपने द्रव्य क्षेत्र आदिकी विवक्षासे घट है ई है इत्यादि वाक्यसे द्रव्यत्व अर्थके आश्रयसे अभेदवृत्तिसे और पर्याय अर्थके आश्रयसे अभेदके उपचारसे कथित जो अनेकान्तरूप अर्थ है वही स्यात् शब्दसे द्योतित होता है क्योंकि द्रव्यरूपसे घटकी सब दशामें अभेदवृत्ति है और पर्य्यायों का परस्पर भेद होनेपर भी द्रव्यत्वरूपसे एकत्व होने से अभेदका उपचार है. इससे 'अस्ति एव घटः ' इस वाक्यसे ही अनेकान्त अर्थ कथित है उसी अर्थको स्यात् शब्द प्रकाशित करता है । सकलादेश अर्थात् प्रमाणरूप सप्तभङ्गी काल आत्मस्वरूपादिद्वारा द्रव्यत्वरूप अर्थसे अभेदवृत्तिसे और पर्यायत्वरूप अर्थसे एकत्वके अध्यारोपसे अभेदके उपचार एक कालमें ही सत्त्व असत्त्वादि सम्पूर्ण धर्मस्वरूप घट आदि पदार्थोंको प्रतिपादन करता है क्योंकि सकलादेश प्रमाणरूप है इस विषयको प्रथम सिद्ध कर चुके हैं । और विकलादेश अर्थात् नयरूप सप्तभङ्गी तो क्रमसे भेदकी प्रधानता अथवा भेदके उपचारसे नयसे एकान्तरूप घट पट आदि पदार्थोंको प्रतिपार्दैन करता है और विकलादेश नयरूप है यह वार्ता भी प्रथम सिद्ध हो चुकी है ॥
१ किसी शब्दसे कथित अर्थका प्रकाशत्व. २ प्रकाशित. ३ प्रकाशित. ४ आपसमें घट आदिका. ५ अनेक धर्मस्वरूप. ६ कथन.
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