Book Title: Saptabhangi Tarangini
Author(s): Vimaldas, Pandit Thakurprasad Sharma
Publisher: Nirnaysagar Yantralaya Mumbai

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Page 74
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रश्नः-पूर्वोक्त रीति खीकार करने पर भी । वृक्षौ इस पदके कहनेसे दो वृक्षका तथा वृक्षाः, ऐसा पद कहनेसे बहुत वृक्षोंका ज्ञान कैसे होता है यह शंका ? भी निष्फल है । क्योंकि व्याकरण शास्त्रके आचार्य श्री पाणिनि आदि ऋषियोंके मतसे तो यहां एकशेष आरम्भ.किया है, अर्थात् जब वृक्ष आदि शब्दके आगे द्विवचन 'औ' आदि विभक्ति लगाई जाती हैं तब 'वृक्ष वृक्ष' ऐसे दो वृक्ष शब्द आते हैं और बहुवचन 'जस्' आदि विभक्ति जब लगाई जाती हैं तब 'वृक्ष वृक्ष वृक्ष वृक्ष' ऐसे बहुत शब्द आते हैं उनमेंसे द्विवचनमें तो एक वृक्ष शब्दका लोप हो जाता है और एक वृक्ष रह जाता है तथा बहु बचनमें भी जो बहुत शब्द लिये जाते हैं उन सब शब्दोंका लोप होजाता है, इस प्रकारसे उन सब शब्दोंका लोप करके एक शेष रहता है इससे दो वृक्ष वा अनेक वृक्षका बोध होता है और जैनेन्द्र व्याकरणके मतमें तो जस् आदि विभक्तिके सन्निधानमें दो अथवा अनेक वृक्ष आदिरूप अर्थके कहनेकी शब्दमें ही शक्ति मानी है ऐसा कहते हैं। इन दोनोंमेंसे एक शेष पक्षमें दो वृक्ष शब्दोंसे ही दो वृक्षरूप अर्थका तथा बहुत वृक्ष शब्दोंसे अनेक वृक्षरूप अर्थका कथन होनेसे एक शब्दको एक कालमें अनेक अर्थ बोधकता नहीं है, क्योंकि जिस शब्दका लोप होगया है उस शब्द तथा जो शेष है उनकी समानता है । वृक्षरूप अथेके समान होनेसे वहांपर एकत्वका उपचार मानके एक ही वृक्ष शब्दका प्रयोग किया जाता है, तात्पर्य यह है कि एकशेष पक्षमें जो शब्द शेष रहजाता है वही लुप्त हुये शब्दोंके अर्थको कहता है, अर्थात् एक ही शेष वृक्ष शब्द अनेक दो वृक्षोंके स्थानमें समझा जाता है, और जैन मतके अनुसार खाभाविक द्वित्व वा बहुत्वरूप अर्थके कथन पक्षमें भी द्विवचनान्त वृक्ष शब्द द्वित्व संख्या सहित वृक्ष तथा बहुवचनान्त वृक्ष शब्द बहुत्व संख्या सहित वृक्षरूप अर्थको स्वभावसे ही कहता है, " वृक्षौ” यहांपर वृक्षत्व धर्मसे अवच्छिन्न अर्थात् सहित वृक्ष यह तो वृक्ष शब्दका अर्थ है और द्वित्वरूप अर्थ "औ" द्विवचनकी विभक्तिका अर्थ है, प्रत्ययके अर्थ द्वित्वका प्रकृतिके अर्थ वृक्षमें अन्वय होता है, इसलिये द्वित्व सहित वृक्ष अर्थात् दो वृक्ष यह 'वृक्षौ' इस शब्दका अर्थ होता है, और इस रीतिसे " वृक्षाः” यहांपर बहुत्वरूप अर्थ बहुवचन प्रत्ययका है उसका भी प्रकृत्यर्थ वृक्षमें अन्वय होता है इसलिये बहुत्व सहित वृक्ष, अर्थात् बहुत वृक्ष यह अर्थ वृक्षाः इस पदका होता है । १ शब्दोंमें अनेक अर्थ कहनेकी शक्ति नहीं है तो एक वृक्ष शब्द दो वृक्षरूप अर्थोको कैसे कह सकता है इसी अभिप्रायसे शंका है वृक्ष शब्दके आगे द्वित्वरूप अर्थको प्रकट करनेवाली औ विभक्ति आती है वृक्ष. औ=वृद्धि होनेसे वृक्षौ. २ वृक्ष शब्दके आगे जस् विभक्ति लगानेसे वृक्ष+अस्-पुनः दीर्घ तथा सकारको विसर्ग होनेसे वृक्षाः होता है. ३ एक विभक्ति में समान आकारवाले जितने शब्द आते हैं उनमेंसे एक शब्द शेष रहता है और सबका लोप होता है उसीसे अन्य अर्थका बोध होता है इसीको एकशेष कहते हैं. ४ एकशेष तथा स्वाभाविक द्वित्व बहुत्वरूप अर्थका कथन इन दोनों पक्षोंमें. ५ एकको शेष रखकर बाकी सब लोप दशाको प्राप्त शब्द, (यः शिष्यते स लुप्यमानार्थाभिधायी) जो शब्द शेष रहता है वह For Private And Personal Use Only

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