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'सणतुकुमारचरिय'नी छंदोरचना
'सणतुकुमारचरिय'मां सळग एक ज छंद वपरायो छे. (हरिभद्रनुं 'नेमिनाहचरिय' पोते पण मुख्यत्वे आ एक छंदमां गूंथेलुं छे.) ए छंदनुं नाम छे 'रड्डा' के 'वस्तु'. ए लाक्षणिकपणे एक अपभ्रंश छंद छे, अने पछीथी जूनी गुजरातीनी . रास वगेरे प्रकारनी कृतिओमां ते आशरे पंदरमी-सोळमी शताब्दी सुधी वपरातो रह्यो छे. जैन लेखकोए कचित् संस्कृतमां पण तेनो प्रयोग को छे. (जेम के धनपालनी 'तिलकमंजरी' कथामां). _ 'रड्डा' छंद जेने द्विभंगी कहे छे ते वर्गनो छंद छे. द्विभंगी वर्गना छंदोमां जुदां जुदां लक्षण धरावता बे छंदोनी एक एक कडीने जोडीने एक एकम बनावेलुं होय छे. वाक्य एक छंदमां निबद्ध पहेली कडीमां शरू थईने बीजा छंदमां निबद्ध बीजी कडोमां पूरुं थाय छे. आम रड्डा एक संकुल छंद छे, सादो नथी.
रड्डानो पहेलो घटक मात्रा छंदनी एक कडीनो अने तेनो बीजो घटक दोहा छंदनी एक कडीनो बनेलो होय छे. (अहीं 'मात्रा' ए अमुक छैदनुं विशेषनाम छे ए ध्यानमा राख. तेने 'एक मात्रा', 'बे मात्रा', 'चार मात्रा' एवा प्रयोगोमां छंदस्वरूप माटे वपराती मापदर्शक 'मात्रा' संज्ञाथी जुदी समजवी). अपभ्रंशना पिंगळग्रंथो अनुसार मात्राछंदमां पांच चरण अने दोहाछंदमां चार चरण होय छे.
आ दृष्टिए रड्डा नवपदी छंद छे. मात्रा छंद __मात्राछंदमां पांच चरण होय छे, अने ते चरणो अणसरखा मापनां होवाथी मात्राछंद विषम पंचपदी प्रकारनो छंद छे. तेना पांच चरणमां अनुक्रमे १५, ११ (के १२), १५, ११ (के १२), १५ ए प्रमाणे मात्रासंख्या होय छे. वेकी चरणोमां साधारण रीते ११ मात्रा होय छे, तो क्वचित १२ पण होय अने ते पण कोई एक वेकी चरणमां के बंनेमां. मात्राछंदना आ बार मात्रा वाळा प्रकारनुं नाम छे-मत्तबालिका. आ चरणोनुं गणबंधारण नीचे प्रमाणे छे : चरण पहेलु : ३+४+ ३ + ५ (छेल्ली पांच मात्रानुं स्वरूप
- uuuu u) वीजें, चोथु :
४ + ४ + ३ ( अथवा ५+४+३) . त्रीजुं, पांचमुं
५ + ५ + ५ (छेल्ली पांच मात्रानुं स्वरूप
- uuu uu ) त्रीजं अने पांचमुं चरण प्रासबद्ध होय छे.