Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 173
________________ १३७ ४६ ४७ ४८ ४६ ५० निविसयं चंकमणं कुव्वतो दिसिमुहाणि जोएंतो । जावेगत्थ पएसे चिट्ठइ ता विहि-निओगेण । कलहंस-चक्क-सारस-कारंडवगाण सुणइ हलवोलं । अणुहवइ सलिल-सीयर-सिसिरं तु समीरण-फंसं ॥ अग्धाइ कमल-कुवलय-मसल-गंधं पवड्डियाणंदं । अह अवियक्किय-पाउन्भूय-महाणंद-नयण-जलो ॥ दाहिण-नयण -फुरणोवइट्ठ-अहिलसिय-कज्ज-निम्फत्ति । चलिओ सारस-कलहंस-सद्द-सूइय-सराभिमुहं ॥ जा ताव सुणइ अच्चंत-गीय-झंकारमसम-सुइ-सुहयं । लग्गो स-हरिस - वियसिय- सिय - वयणो गंतुं तओहुत्तं ।। अह पत्थइय-निरिक्खण अक्खित्तं विहिय-चारु-सिंगारं । उवहसिय-सुरासुर-रमणि-रूव-तरुणीण मज्झ-गयं ॥ दंद्रु सणंकुमारं विम्हिय-पप्फुल्ल-लोयणो संतो । नणु एरिसा समिद्धी कह मह पहुणो त्ति चितंतो ।। जा चिट्ठाइ कंचि खणं एगस्स मह-दुमस्स छायाए । ता मग्गण-वग्गेणं निसुणइ एयं पढिज्जंतं ॥ जय आससेण-कुल-नयल-मयंक कुरु-भवण-लग्गण-खंभ । जय निज्जिय-विज्जाहर-पाविय-वेयड्ढयड्ड-पहु-भाव ॥ जय खयरिंद-विलासिणि-थणवठ्ठल्लंग-संग-दुल्ललिय । जय तिहुयण-पयड सणंकुमार गिरि-गरुय-वित्थार || अवि यएक्के असिम्मि झीणा अन्ने उण सिहरि-वण-कयावासा । इयरे तुह पउर - दयस्स नाह सरणं गया रिउणो ॥ ५१ . ५२ ५३ ५४ ५६ (१) ४९. २. निप्पत्ती. ५२. ३. परिसा.

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