Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 191
________________ १५५ २५४ । 1 गोसे दिणिद- उदएणं व गहाणं सुराण सव्वेसि । नट्टो झड त्ति तेओ ता वज्जरियं सुरिंदेण ॥ जह पच्छिमम्मि जम्मे इमिणा तियसेण समय- नीईए आइण्णो आसि तवो आयंविल-वद्धमाणो त्ति 11 २५५ तव्त्रसओ सेस सुरख्भहिओ तेओ इमस्स जाउ ति अह तियसेहिं पुणरवि पुढं चिट्ठइ किमन्नो वि ॥ को-वि हु जयम्मि एरिस तणु-पहा- हरिय इयर - तरुण - जणो । अह ईसि हसिऊणं भणियं अमरा हिराएण || निम्माण-कम्म- - निम्मिय असमाण-समग्ग-संधि-बंधस्स । साहाविय - पोहा मिय-तियसासुर - सत्वस्स ॥ २५६ पुरओ सणकुमारस्त चक्कवइणो सुरस । एयस्सा किं रूवं किं तेओ किं वा लायण्ण माहप्पं ॥ अहवा विचिट्ट एउ एसो तियसासुर - माणवाण मज्झाओ । अन्नस्स विकस्स नत्थि एरिसा रूव रिद्धि त्ति ॥ तत्तो यस हंता दूवे स्वावलोयणत्थं सुरा तियसनाह वयणमिणं । सकुमारस्स- चक्किस्स ॥ कय- देसिय दिय-रूवा पडिहार-निवेश्या पुरो पत्ता । अह गंध-तिल्ल - अभंगियंगमवि तं 1 निरिक्खेउं ॥ विम्हि - हिया अन्नोन्न- मुहाणि लग्गा निरिक्खिउं दो- वि चितंति य अहह इमस्स किंपि रूवं अउव्वं ति ॥ तो अमुणिय-तत्तेणं सणकुमारेण ते सुरा भणिया । जह भो विप्पा मग्गह मणिच्छियं जह पयच्छामि ।। तयणु पयंपंतियरे अहिलसिमो किंपि नो महाराय । किंतु तुह रूव-अवलोयणत्थमम्हे इह पहुत्ता ॥ २५७ २५८ २५६ २६० २६१ २६२ २६३ २६४ २६५.

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