Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 183
________________ नणु कह भयवं पुव्विल्ल - जम्म सत्तू स तस्स चक्किस्स । इय सिट्ठम्मि मए पुणरवि अक्खायं मुणि-पहुणा ॥ १६१ जह कंचणपुर-नयरे निवई विक्कमजसो त्ति विक्खाओ । तस्स उण पंच अंतेउरी-सयाई अहेसि त्ति ॥ १६२ १४७ तो पुरे तत्थेव आसि निय- विहव - विजिय- वेसमणो । नियय-कुलक्कम सारो सत्थाहो नागदत्तो त्ति ॥ १६३ तस्स य स-रूव-लायण्ण-विजिय- सुर-सुंदरी अहेसि पिया | विण्डुसिरित्ति पसिद्धा अहन्नया विहिवसेणं सा ॥ १६४ विक्कमजसेण रण्णा दिट्ठा सह मयण- विहुर - हियएण । अवहरिऊण खित्ता अंतेउरे तत्तो ॥ १६५ विरह - भूय- वेलविय विग्गहो हा हरिण नयणि हा चंद-वयणि नागदत्त - सत्थाहो । हा कुंभि - कुभ- णि ।। १६६ कत्थ गया कत्थ गया पडिवयणं किं न देसि पसिऊण । जीवंतो विमओ इव नणु तुह विरहम्मि चिट्ठामि ॥ १६७ निय-नाह-पराहूयाहिं वि ईसा विहुस्सिरी वराई निहया इय विलवंतो वहु-डिंभ - परिगओ चत्त-इयर-वावारो । गहिलीहूओ रत्थासु परियडंतो गमइ कालं ॥ १६८ विक्कम जस-निवईणं अवहत्थिय- -सयल - रज्ज-वावारो । अगणिय जणाववाओ अवमन्निय इयर - तरुणियणो ॥ १६६ तीए विण्डुसिरीए सद्धं अच्चंत रइ- सुहासत्तो । कालं गमेइ अह अन्नया य सेसे स-दइयाहिं ॥ विसाय - दुहियाहिं । कम्मण - पाओगेणं ॥ १७० १७१ १६१.३ सट्ठमि, ३. मणिप्पहुणो. १६२. ४. सताई. १६६.२. नागरदत्त. १७० पछी हस्तप्रतनां २८०० ग्रंथात थयानो निर्देश छे. १७१३. वरीई.

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