Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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उग्धोसिज्जइ पडिवक्ख-दलण-दक्खे मए वि सन्निहिए। .. . इय जंपिरेण निय-भुय-जंत-वलुम्मूलिएण लहुं || - .. १०१.... वड - पायवेण निहओ कुमरेण तहा कहिंचि सो जक्खो । जह ववगयाहिमाणो वियलिय-चेयन्न-त्रावारो ॥ १०२ नियसत्तणाणुहावाणुवलद्धं ति मद (?) सो कहंचिदवि । मुक्क-गरुय-पुक्कारो कुमरस्स अदंसणी हूओ ॥ १०३ अह रण-निरिक्खणागय-तियसासुर-खयर-राय-तरुणोहिं । कुमर-सिरम्मि मुक्का गंधोदय-कुसुम-बुट्टि ति ॥ १०४ इय निज्जिऊण जक्खं पच्छिम-दिसमुवगयम्मि तरणिम्मि। नीहरिऊण सराओ जा गच्छइ कित्तियं पि पहं ॥ १०५ तो सहस च्चिय कुमरो सरूव-उवहसिय-तियस-तरूणीओ। नंदण-वणस्स-मज्झ-ट्ठियाउ कय-चार-वेसाओ ॥ १०६ अवलोएइ दिसा-कुमरीओ इव अट्ठ पवर-तरुणोओ । ताहिं वि सच्चविओ अणिमिस-सुसणिद्ध-दिट्ठीहिं ॥ १.७ अह नणु कओ इमाओ नंदण-वण-वसुह-विहिय-मोहाओ। इय चिंतंतो कन्नगमेगं गंतूण पुच्छेइ ॥ १०८ नणु सुयणु काउ तुम्भे कह व अरण्णं इमं विहूसेउं । थक्काउ त्ति पसाहह अह वियसिय-वयण-तामरसा ॥ १०९ सविलासमीसि विहसिय पयंपए हरिण-लोयणा तरुणी। जह अज्जउत्त पिय-संगमाभिलासाए नयरीए ॥ ११० एत्तो उ नाइदूरे चिट्ठइ सिरि-भाणुवेग-खयरिंदो । ता तत्थ समागंतु खणमेगं वीसमह तुन्भे ॥ १११ ।। १०४. ३. सिरिमि. १०५.२. तरुणम्मि.. १०७.३. कुमारीओं. १०६.४. वयणा. ११०.१. मीस.

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