Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 179
________________ १४३ ॥ ११३ ॥ पच्छ[इ] उण वुब्भिस्सह अइरेण समग्गमवि सयं चेव । इय वयणा [ओ] तासि कंचुगि- दंसिय-पुरी- मग्गो || पत्तो नरिंद-भुवणे अह अब्भुट्ठेउ भाणुवेगेण । रण्णा कय-सक्कारं उववेसेउं सहत्थे हि दिणम्मि पवर- सीहासणम्मि भणियं जहा महाभाग । महज्झया ( ? ) एय़ाओ अट्ठ कुमरीउ परिणेसु ॥ ११४ जम्हा अम्हं सिरि अच्चिमा लि-नामेण साहु - वरोहण | केवलिणा आइ आसि जहा जो पुरिस- सीहो असियक्ख-जक्ख-दप्पं भंजेही सों इमासि अहं । अह कन्नयाण होही निस्संकं सामियत्तेण ॥ इच्चाइ-वहु-वियप्पं भणिऊणं भाणुवेग-नरवइणा । महया महेण निय-धूयाओ परिणाविउ कुमारो । ११७ अह कय-कंकण बंधो अहिणव-परिणीय विहिय- वर- वेसो । रइ-मंदिरम्मि चिट्ठइ ताहिं समं जाव वीसत्य ॥ ११८ ता सो गाढ-परिस्सम खित्त-तणुत्तेण आगया निद्दा | तदवगमम्मि य पेच्छइ अप्पाणमरण्ण - मज्झमि ॥ ११६ सुद्ध-महीए निवडियं ति तयणु कुमरो अकायर-पगई । एयं किमिदयालं किं मइ-मोहो त्ति चिंतंतो ॥ लग्गो अग्गिममग्गं अक्क्रमिउं कंचि जाव ता सहसा । हिमगिरि-सिहरुंगे विचित्त-मणि-निम्मिय-कुंभे ॥ सुविचित्त मत्तवारण पाविय सोहम्मि विउल-सालम्मि | देवं सुय-पट्टसूय - मुहुत्तिम-वत्थ-उल्लोओ ॥ मरु-मंडलम्मि कप्पद्दुमं व भीमस्मि तम्मि रण्णमि । धवलहर मे गमवलोएइ स भावणिज्जं ति ॥ १२० १२१ १२२ १२३ ११४.२. भाणियं. ३ एयाएउ ४ परणोसु. ११७.४: कुमरो. ११६. २. • खेत्त. १२०. २. अकायरय १२१. १. अग्गिसं. ११२ ११५ ११६

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