Book Title: Santukumar Chariya
Author(s): H C Bhayani, Madhusudan Modi
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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तत्तो महिंदसीह-प्पमुहाण पुरो नरिंद-कुमराण । नणु भो कस्स तुरंग को जिणइ त्ति प्पयंपेई ।। मुइय-चमक्किय-सुल लिय-पुलिय-गई-विजिय-रवि-रह-तुरंगं । निय-तुरयं सह नीसेस-से स-निव-कुमर-तुरएहिं (?) ॥ १२ तयणु खणद्धेण सणंकुमार विवरीय-सिक्खिय-तुरंगो । लग्गो गंतुं पंचम-धाराए जिय-इयर-तुरओ ॥ १३ अह गाढयरं रज्जू तुरयस्साइड्डिया कुमारेण । विवरीय-सिक्खियत्तेण तो तुरओ सुसिग्घयरं ॥ १४ लग्गो गंतुं खण मेत्तेण उ सविह-द्वियस्स लोगस्स । धावह एसो गच्छइ एस गओ त्ति य भणंतस्स ।। जण-नयण-अविसयत्तं पत्तो तुरओ इओ य नरनाहो । कुमराणुमग्ग-लग्गो पहाविओ मुणिय-वुत्तंतो ॥ १६ कित्तिय-मेत्तं च पहं तुरय-खुरुक्खय-मुहं पलोएंतो । जाव गओ ता भवियव्वयाणुहावेण उच्छलिओ ।। १७ भुवण-क्खय-काल-समुभवु व्व चंडो समीरणो तत्तो । अंधीकय-दिसियक्को रय-उक्केरो परिप्फुरिओ ॥ अह नट्ठ-तुरंगम-पय-चिंधो रय-भरिय-लोयणो निवई । लग्गो समग्ग-लोगेणं सह विलवेउमच्चंतं । एत्यंतरम्मि निवई विन्नत्तो सिरि-महिंदसीहेण । जह देव को-वि दीसइ समुट्टिओ एण्हिमुप्पाओ । अन्नह कहं कुमारो कहं ब एरिस-तुरंगमारुहणं । कह वा इमोवरोहो कहं व स समीरण-प्पसरो ॥ २१ अहव किमन्नेण पयंपिएण काउं महोवरि पसायं । सामिय तुमे नियत्तह असेस निय-परियण-जुया वि ॥ २२
भ्रप्ट पाठो : ११. ४ प्पियंपेइ. ११.४. यणइ. १२. ३. तुरिय. १४. ३-४ तेणं तो तुरंगो. २०. ४. एहिंमु
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