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विषय निर्देश पृष्ठ विषय
| पृष्ठ विषय १२५ ...सीप और रजत का भान सत्य है या १३९ ...मिथ्याज्ञानोत्पन्न प्रवृत्ति का बाध असम्भव विपरीत ?
१४० ...बाधक के सामर्थ्य से बाध्यता की अनुपपत्ति १२५ ...अन्यथाख्याति की गहराई से समालोचना | १४० ...अर्थानुपलब्धि से बाध की अनुपपत्ति १२६ ...ज्ञान की निरालम्बनता का उपपादन १४१ ...सत्यदर्शिता – कारणदोषाभाव में अन्योन्याश्रय १२७ ...संवादप्रेरित अर्थग्राहितासाधन का निरसन दोष १२७...अर्थ के विना भी स्वप्नादि में अर्थक्रियानिष्पत्ति | १४२ ...बाधाभाव भावसत्ता का प्रसाधक नहीं १२८ ...नील-नीलबुद्धि का अभेद प्रत्यक्षसिद्ध-अनुमान | १४२ ...प्रसज्यनञर्थ तुच्छस्वरूप बाधाभाव अकिंचित्कर से व्यवहारसिद्धि
१४४ ...मीमांसककथितरूप से अभावग्रहण में १२९ ...अभेद प्रत्यक्षसिद्ध है तो अनुमान का प्रयोजन अनवस्थाप्रसंग क्यों ?
१४४ ...अभावप्रमाण से प्रतियोगिनिवृत्ति असंभव १३० ...बुद्धिपरोक्षतावादी मीमांसक मत का निरसन | १४५ ...पर्युदासरूप बाधकाभाव से अर्थतथात्वव्यवस्था १३० ...हेतु में अनैकान्तिकता या संदिग्धविपक्षव्यावृत्ति | अशक्य दोषों का उद्धार
१४६ ...स्वप्नदशावत् जागृति में भी द्रव्यादि की १३१ ...सहोपलम्भ में भेदसाधकता प्रयुक्त विरुद्धदोष असिद्धि का निरसन
१४७...अर्थों में कालभेदप्रयुक्त भेद सम्भव नहीं १३२ ...एक अर्थ में 'सह' शब्दप्रयोग की संगति | १४८...देशादिभेदप्रयुक्त भावभेद का असम्भव १३२ ...संवेदनस्वरूप होने से दोनों में अभेद सिद्ध | | १४९ ...स्वयं नीलादि के भेद का अवभास अशक्य १३३ ...सहोपलम्भनियम और तथासंवेदन दो हेतु | १४९ ...एक - स्थूल स्तम्भादि का भी निश्चय अशक्य में भेद
१५०...भेद की असिद्धि से अभेद का साधन अनुचित १३४ ...भेदावभास के होने पर भी संवेदन से अभेद | १५०...नैसर्गिक शुद्ध ज्योति की परमार्थसत्ता का १३४ ...चित्त-चैत्तादि स्थल में व्यभिचार का वारण निषेध १३५ ...अभ्युपगमवाद से मीमांसकमतानुसार भी | १५१ ...विज्ञानवाद तत्त्वभूत नहीं है विज्ञानमात्रता
१५२ ...बाह्यरूपता से नीलादि की सत्यता का निषेध १३५ ...विज्ञानवाद में प्रमेयादिव्यवस्था शंका-समाधान | १५३ ...भ्रान्तरजतस्थल में स्मृतिप्रमोष का निषेध १३६ ...नीलादि अनुभवस्वरूप है - विज्ञानवादी | १५३ ...एकदेशीय पदार्थ में अन्यदेशादिवृत्तित्व का १३७ ...कर्तृआदि भेदविकल्प का मूल अनादि वासना __ भान अशक्य १३८ ...ऋजुसूत्रनयान्यव्याख्यया शून्यवादनिरूपणम् | १५४ ...पूर्वदेशादि वर्त्तमानदेशादिता के ऐक्य का निषेध १३८...शुद्धपर्यायास्तिकप्रकारभूत ऋजुसूत्र नय | १५५ ...असद् भासित होने पर असत्ख्याति की विज्ञानमात्रग्राही
आपत्ति १३८...अन्यप्रकार से व्याख्या के द्वारा ऋजुसूत्रनय | १५७ ...अविसंवाद का निर्वचन दूषित है का शून्यवादसमर्थन
| १५८ ...पूर्वदर्शन-उत्तरदर्शन विषयों का ऐक्य असम्भव
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