Book Title: Samyag Darshan Part 02
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
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परमात्मने नमः
मानव जीवन का महान कर्त्तव्य
सम्यग्दर्शन
(भाग - 2)
नूतन वर्ष का मंगल सन्देश
और
सन्तों का आशीर्वाद
वीर संवत् २४७८ के नूतन वर्ष के सुप्रभात में मङ्गल सन्देश में पूज्य गुरुदेव श्री ने कहा था कि
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जगत की महिमा छूटकर अन्तर में आत्मा के चिदानन्दस्वभाव की महिमा जमना, वह आत्मा का मङ्गल नूतन वर्ष है ..... उस स्वभाव में से ही समस्त निर्मलपर्यायें आती हैं। आत्मा के परमपारिणामिकस्वभाव की महिमा करके, उसमें गहरे उतरतेउतरते सम्यग्दर्शन से लेकर सिद्धदशा तक की समस्त निर्मलपर्यायें प्रगट हो जाती हैं; वही आनन्दमय नूतन वर्ष है। ऐसा आनन्दमय नूतन वर्ष प्रगट करने के लिये आत्मस्वभाव की परम महिमा... उसकी रुचि... और उसमें सन्मुख होकर लीनता... यही आत्मार्थी जीवों का कर्तव्य है और उसके लिये ही सन्तों का आशीर्वाद है ।
Shree Kundkund - Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.