Book Title: Samyag Darshan Part 02
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai

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Page 16
________________ www.vitragvani.com (xiv) १०० १०१ १०५ ११७ १२२ १२५ लेख परमात्मा का प्रतिबिम्ब...... सच्चा इनाम.. शुद्धात्म-प्राप्ति की दुर्लभता..... श्रेणिक राजा तीर्थङ्कर : किसका प्रताप..... मोक्षार्थी को मुक्ति का उल्लास............... महादुर्लभ मानव जीवन.......... भव-भ्रमण का भय... पुरुषार्थ उत्तेजक होते हैं ज्ञानी के वचन... परमात्म भावना... धर्म की बढ़ती धारा................... रत्नत्रय का भक्त.......... मुमुक्षु को सेवनयोग्य दो साधन... श्रीमद् राजचन्द्र का एक पत्र. आत्मस्वभाव में अभेददृष्टि ही ज्ञानियों को सम्मत.. विकल्प के अभावरूप परिणमन अर्थात् निर्विकल्प शुद्धात्मानुभव कब?....... शुद्धात्मा के निर्विकल्प अनुभव के लिये.... लालायित शिष्य...... आत्मार्थी जीव का उत्साह और आत्मलगन. आत्मार्थी जीव का उत्साह और आत्मलगन.. आत्मार्थी जीव का उत्साह और आत्मलगन.................. १२७ १२९ १४२ १४३ १४४ १५३ १५६ १५९ १७१ १८१ Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.

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