Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पोषण कर रहे हैं। मनुष्य इण्डस्ट्रियों में कार्य कर आवश्यक उत्पादनों को पैदा कर देश विदेश में भेजकर राष्ट्र में विदेशी मुद्रा को आयात कर राष्ट्र निर्माण में भी सहयोग करते हैं। आज राजस्थान के पश्चिमी प्रदेश का सर्वे करवाकर जोधपुर डिविजन का सर्वे देंखे कि मानव मात्र की रक्षा व तिर्यन्च पशुओं की रक्षा के लिये आवश्यक सभी सामग्रियों में १०-१५ करोड़ रुपये एक माह में खर्च होते हैं। सार्वजनिक वस्तुओं का निर्माण कर रहे हैं जैसे विश्व विद्यालय, कालेज, अस्पताल, प्याऊ, सार्वजनिक धर्मशालाएं, नलकूप कबुतर चुगने के स्थल, गौशालाएं व अजैन मंदिरों का निर्माण भी श्वेताम्बर जैन समाज करवाती है। नारी को स्वावलम्बी बनाने के लिये राजस्थान के पाली जिले में विद्यावाड़ी नामक संस्था को स्थापित कर अनुठा कार्य किया है। जो सबके लिये आवश्यक है। विद्यावाड़ी में प्रति वर्ष ५०० से ७०० कन्याएँ अध्ययन करती है। इसलिये दिगम्बर भाइयों से यही कहना है कि वे व्यर्थ के अनाधिकार युक्त विवाद फैलाकर तीर्थ स्थलों में भयंकर आशातना होने की कार्यवाही न करें। जो लाखों वर्षों से जिनके अधिकारों में है उसको उसी प्रकार सुरक्षित रहने दे। हमारा यह सत्य कहना है कि भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के ६०९ वर्षों के बाद श्वेताम्बर जैन मुनिश्री शिवभूतिजी ने अपने आचार्य आर्यकृष्णाचार्य से रत्नकंबल के विषय के विवाद उत्पन्न कर दिगम्बर धर्म को चलाया। अगर यह असत्य है तो आप बतावें कि किस दिगम्बर मुनि ने कपड़े पहनकर श्वेताम्बर धर्म को चलाया। उदाहरण महान ग्रंथों में होना आवश्यक है। शुभम् दिनांक २७.६.९४ For Private And Personal

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