Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra खुला खत www.kobatirth.org ..... बिहार मुख्यमंत्री के नाम.... अभी तो पत्र से ही आपको सम्बोधित कर रहे हैं फिर शायद पटना आकर आपको सम्बोधित करना पड़े और यह सम्बोधन न जाने चुनौतिका हो या चेतावनी का संघर्ष का हो या सत्याग्रह का....! Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री कृष्णवल्लभजी सहाय, मुख्यमंत्री, पटना कामराज योजना आई और श्रीयुत् विनोवानन्दजी झा को मुख्यमंत्री पद से विदा लेनी पड़ी। कांग्रेस विधानसभाई दल में झा साहब के उम्मीदवार को औंधा कर आप सत्तासीन हुए तो राष्ट्रीय स्तर के अखबारों तक ने आपकी तस्वीर छापते हुए आपको 'लौह पुरुष' का खिताब दिया । मुझे आज तक समझ में नहीं आया - आप कैसे लौह पुरुष हैं? एक ओर स्वतंत्र पार्टी के विधायकों का अपहरण कर आप अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते थे और दूसरी ओर सारी स्वतंत्र पार्टी आपके गले पड़ गई तो आप बिदक गये। हाईकमान को खरीते लिखने लगे, कामख्यानारायणसिंह को कांग्रेस में मत लो। शायद आप सिंहों से डरते हैं और सियारों की पार्टी में अगुआ बनते हैं। सियारों में सिंह सा दम भरते हैं और सिंह देखकर ......! खैरे! यह सब राजनीतिक दन्द फन्द हैं आप लौह पुरुष हैं या मौम पुरुष हमें मतलब नहीं किन्तु हां! जैन समाज तो आपका लोहा मान चुकी है। आप जो बिहार के मुख्यमंत्री हो, यशोदा के कृष्ण हो, महात्मागांधी के अनुयायी हो, जवाहरलाल के सिपाही हो, कांग्रेस के नेता हो, लोकतंत्र के कर्णधार हो और जनता को उमंगों के प्रतीक! आप जो भारत मां के लाल हो, देश के महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हो, बिहार नभ मण्डप के चमकते सितारे हो या वर्तमान राजनीति के जाज्वल्यमान नक्षत्र हो हमें आपसे ही कुछ कहना है। आप प्रजातंत्र की शालीनता की रक्षा करते हैं, मौलिक अधिकारों का रक्षण करते हैं, संविधान को संरक्षण देते हैं, लेकिन हमें तो दिखता है कि जनता अन्तर रात और दिन में है उतना ही अंतर ५९ For Private And Personal

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