Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नहीं खा सकी, फिरंगियों का शासन भी एक दिन चकनाचुर हुआ और कभी सूर्य न डुबने वाले देश ब्रिटेन की हुकूमत भी शनैः-शनैः इंग्लिश चैनल की ओर सिमटती गई। इतिहास इस बात का साक्षी है, जिसने धर्मको दबाया, मूर्तियाँ खण्डित की, मन्दिर तुड़वाये या धर्मस्थानों को गिरवा दिया। उनका शासन जहाँ अग्नि की तरह फैला, वहीं उनका अस्तित्व उसी तरह बुझ भी गया तथा बाद में निकली उनके जीवन से सड़ांध, जिससे विश्व में दुर्गंध फैल गई। सम्मैतशिखर सूर्य की तरफ धूल फेंकने वाला, सूर्य का कुछ नहीं बिगाड़ सकता। धूल तो फेंकने वाले की आँख में ही जाकर गिरती है। इसी तरह धर्म की स्वतंत्रता को अपहत करने वाले शासक, यदि यह माने कि वे धर्म को दबाएँगे। धर्म का कौन क्या बिगाड़ सका, वह तो अपनी पावन पताका वैसे ही फहराता रहा है, चाहे कनिष्क आया हो या मुगल, गुप्तकाल रहा हो या ब्रिटिश सत्ता। आज... जैनों के पावन-पवित्र तीर्थ श्री सम्मैतशिखरजी पर बिहार सरकार ने जागीरदारी उन्मूलन के नाम पर कब्जा कर लिया है। भूमि विकास कानून के अन्तर्गत वहाँ वह जंगलों का विकास करना चाहती है। इस पहलू में ३ बाते हैं:१- जागीरदारी उन्मूलन। २- जंगल का विकास॥ ३- राज्य की आमदानी॥ __ जहाँ तक जागीरदारी उन्मूलन का प्रश्न है, यह कितनी हास्यास्पद स्थिति है कि २० तीर्थंकर देवों तथा अनन्त मुनियों की मोक्ष भूमि राज्य परिभाषा में जागीर मानी जा रही है। यदि राजघाट और शांतिघाट जागीर नहीं तो यह पावन-पवित्र तीर्थ जागीर कैसे? ___ जंगल का विकास यह तो एक ओट है, पारसनाथ हिल्स को हथियाने की। मात्र १६००० एकड़ भूमि और वह भी पर्वतीय, जिसमें जैनियों के अधिकार तो वह सुरक्षित रखने की बात कहती है यानी १/४ भाग तो मन्दिर सड़कों आदि में चला जाता है। शेष भाग इतना उर्वर तो नहीं, जो सोना उगल दे। वहाँ विकास होगा- देश पैसा लगाएगा और देखेगा कि क्या आमद हो सकती है। सम्पदा की इतनी बाहुल्यता में नहीं कि राज्य को करोड़ों का मुनाफा हो सके। जंगल-विकास For Private And Personal

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