Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1889860RRORRENganted R0 बिहार सरकारको पाँचीदुलीला D जगीरदारी उन्मुखन 0 जंगल का विकास D राज्य की आमदानी अनीतियों का पर्दाफाश हमारा गौरवमय इतिहास ज्योतिषाचार्य शासन दीपक मुनिराज श्री जयप्रभविजयजी महाराज "श्रमण" गर्दभ भील्ल के विरुद्ध कालिकाचार्य मुगलों के विरुद्ध भामाशाह चण्डप्रद्योत के विरुद्ध उदयन कुमारपाल/समरसिंह/भरतचक्रवर्ती आदि सभी के गौरवमय उदाहरण आज इतिहास के पृष्ठों से अपनी वीरता-शौर्यता और जवामर्दी के आदर्शों से अमरत्व प्राप्त कर चुके हैं। युगों-युगों से.... न्याय का अन्याय, सत्य का असत्य, वैधता का अवैधता, विवेक का अविवेक, अहिंसा का हिंसा, अपरिग्रह का परिग्रह के विरुद्ध संघर्ष चलता रहा है और न्याय का पक्ष सदा विजयी रहा सिद्ध हुआ है। अत्याचारियों को जुझना पड़ा है, हटना पड़ा है, शर्मीदा होकर नीचा देखना पड़ा है या कि पराजित होकर दया की भीख माँगनी पड़ी है। ___ तैमुरलंग का कत्लेआम, नादिरशाह की नृशंसता, ओरंगजेब की बर्बरता, हिटलर की दानवता या मूसोलिनी का गर्व टीक नहीं सके। सिकन्दर विश्व विजय का स्वप्न अपार सेना के सौजन्य से भी साकार नहीं कर सका। अशोक कलिंग विजय को प्राप्त कर भी पराजित रहा। श्वेत हुणों की साम्राज्यवादी नीति भी दम ५६ For Private And Personal

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