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कुंभकर्णकीनींद
नींद आती है तो मानव अचेत हो जाता है उसकी चेतना मिट जाती है। तथा वह दूसरी दुनिया की सफर करने लगता है। साधारण मनुष्य प्रतिदिन ६ से ८ घंटे तब सोता है किन्तु कुंभकर्ण ६ माह तक सोता था। वैदिक रामायण के आख्यानों के अनुसार जब उसके सोने का समय था तब राम-रावण का युद्ध प्रारम्भ हुआ। एक तरफ दानवों और मानवों का भयंकर संघर्ष चल रहा था रक्त सरिताएं उबल रही थी। मारो काटो के निषाद लग रहे थे तब इन सबसे बेखबर निखट कुंभकर्ण सोया हुआ ही था। रावण ने युद्ध के लिये जब उसे खुब उठाया तब भी वह न जागा तथा अन्त में जब उसकी नाक में तीर छोड़ा गया तो वह हड़बड़ा कर उठा। खैर कहने का तात्पर्य यह है कि कुंभकर्ण की नींद जगत प्रसिद्ध है किन्तु अब उसी गणना में हमारी बिहार सरकार का नाम इस लोकतंत्र से जुड़ रहा है। बिहार की सरकार जनतांत्रिक है, किन्तु आज जैनों के प्रचण्ड विरोध में सम्मुख जो हां हूं हो कर रही हैं जो इस बात का द्योतक है कि कुंभकर्ण की नींद को भी इसने चुनौती दे डाली है। ___ आज पारसनाथ हिल्स (सम्मेतशिखरजी तीर्थ) पर जो अवैध कब्जा बिहार सरकार ने लिया इसके विरुद्ध सारा जनतग जाग्रत हो चुका है। स्थान-स्थान पर सभाएं हो रही है। सम्मेलन हो रहे हैं। विरोध प्रस्ताव किये जा रहे हैं। विरोध पत्र डाले जा रहे हैं। हस्ताक्षर आंदोलन चला रहे है। सत्याग्रह की तैयारियां चल रही है। सम्पूर्ण समाज में रोष व असंतोष व्याप्त है, लेकिन बिहार सरकार को तो नींद
आ रही है और ऐसी नींद की कुंभकर्ण को भी मात कर दिया उसने। कुंभकर्ण को जगाया गया तो उसने हूं हां किया और बिहार सरकार को झकझोरते हैं तो वह भी ऊं आं ही कर रही है। प्रवक्ताओं से आश्वासन घोषित करवा रही है। देने की बात नहीं करती बात करती है मात्र उपर नीचे की ही। किन्तु इससे काम चलने वाला नहीं काम तो चलेगा सम्मेतशिखर देने से ही। __वह देगी तो संतोष होगा नहीं तो सीधी सी बात है हर प्रयत्न होगा। उसके प्रतिरोध हेतु। समय तो आया है कि जैन समाज को कमर कसना होगा। कमर ही
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