Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org क्योंकि हो सकता है कि सरकार को इस जंगल से प्रतिवर्ष ५-५० हजार रु. का लाभ मिल जाए किन्तु ऐसा करने से लाखों मनुष्यों की अन्तरात्मा से इस पुण्य भूमि पर नाजायज फायदा उठाने से जो वेदना होगी उसके सामने इस आमदानी की कोई किमत नहीं है। भारत हमेशा से धर्म भूमि रहा है और पुराना इतिहास बतला रहा है कि जिन-जिन व्यक्तियों ने धर्म या धार्मिक स्थानों को नष्ट करने का प्रयत्न किया वे खुद मिट गये और धर्म आज भी वैसा का वैसा उसी स्थान पर अटल है। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यदि सरकार को इस तीर्थ से आर्थिक लाभ ही लेना हो तो इस तीर्थ के नाम पर भारत में बसे हुए तमाम श्वेताम्बर जैनियों पर प्रतिवर्ष कोई टेक्स कायम् कर | श्वेताम्बर समाज का बच्चा-बच्चा इस तीर्थ के नाम पर हर तरह का टेक्स देने को तैयार है। टेक्स ही क्या समय आने पर तीर्थ रक्षा के लिये प्राण भी न्यौछावर कर सकता है। यह तीर्थ जैनियों के लिये प्राणों से भी अधिक प्रिय है। धानसा सम्मेलन की यही ललकार थी कि जिन व्यक्तियों को संसार में जीवित रहकर अपने धर्म व तीर्थ की रक्षा करना है। हर किस्म के अत्याचारों व अनाचारों को भी सहन करने में भी कभी पीछे कदम नहीं रखेंगे। जिस प्रकार की मुगल साम्राज्य के जम्नाने में हिन्दुओं को जोर जुल्म से मुसलमान बनाया जा रहा था और जो हिन्दू से मुसलमान बनना नहीं चाहते थे उनके ऊपर उस समय के साम्राज्यवादियों ने जजिया टेक्स लगाया था और उस समय के हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिये खुश होकर जजीया टेक्स भी दिया था। उसी प्रकार यह बिहार सरकार श्वेताम्बर जैनियों से तीर्थ कर के नाम पर जजीया टैक्स लेना चाहेगी तो श्वेताम्बर समाज सहर्ष इसको भी अदा कर सकेगी। बिहार सरकार दीर्घ दृष्टि से पुन: इस तीर्थ के सम्बन्ध में गंभीरता से सोचे समझे, अध्ययन करें और मनन कर परिशीलन करें। किसी भी कार्य में जल्दी करना या लाखों व्यक्तियों की आवाज को 'ठुकराना एक प्रकार से अपने आपको बहुत बड़ा नुकसान करना है। सामने वाले का नुकसान होने वाला होगा वह तो होगा या नहीं यह परमात्मा ही जानता है, किन्तु सरकार को बहुत बड़े नुकसान में उतरना पड़ेगा। ५३ For Private And Personal

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