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यह वह राजस्थान है, जिसने अन्यायों को मिटाने का सदा से ही नेतृत्व किया है तथा आज भी धानसा में इस सम्मेलन के द्वारा आप नेतृत्व का भार स्वीकार कर रहे हैं। धानसा सम्मेलन तभी सफल हो सकता है, जबकि जिस उद्देश्य को लेकर यह बुलाया गया है, वह पूरा हो। __ आज, सरकार यह चाहती हैं कि बिना आन्दोलन या बिना किसी को फाँसी पर चढ़ाये हम श्री सम्मैतशिखरज़ी नहीं देंगे, तो मैं तैयार हूँ, मुझे फाँसी के फंदे पर चढ़ा दिया जाए और जैन समाज को शिखरजी सुपुर्द कर दिया जाए।
. (बार-बार जयघोष) मुझे जय-जयकार नहीं चाहिए। मैं चाहता हूँ, अपना तीर्थ, उसकी पूर्ण पवित्रता। यदि उसके लिए मेरा जीवन आहुत होता है, तो यह बड़े सौभाग्य की बात होगी।
बन्धुओं! यह प्रश्न समाज के जीवन-मरण का प्रश्न है, जिसे इसी रूप में जानना है। धर्म व तीर्थों की रक्षा करना है वे हर किस्म के अत्याचारों-अनाचारों को भी सहन करने में कभी पीछे कदम नहीं रखेंगे। जिस प्रकार कि मुगल साम्राज्य के जमाने में हिन्दुओं को जोर-जुल्म से मुसलमान बनाया जा रहा था और जो हिन्दू, मुसलमान बनना नहीं चाहते थे, उनके ऊपर उस समय के साम्राज्यवादियों ने जजिया टैक्स लगाया था और उस समय के हिन्दुओं ने अपने धर्म की रक्षा के लिए खुश होकर तीर्थ के नाम पर जजिया टैक्स भी दिया था। उसी प्रकार यह बिहार सरकार, श्वेताम्बर जैनियों से तीर्थ के नाम पर जजिया टैक्स लेना चाहेगी, तो श्वेताम्बर समाज सहर्ष इसको भी अदा कर सके। बिहार सरकार दीर्घ दृष्टि से पुनः इस तीर्थ के सम्बन्ध में गंभीरता से सोचे, समझे, अध्ययन करे व मनन कर परिशिलन करे। किसी भी कार्य में जल्दी करना या लाखों व्यक्तियों की आवाज को ठुकराना, एक प्रकार से अपने आप का बहुत बड़ा नुकसान होने वाला होगा। वह तो होगा या नहीं, यह परमात्मा ही जानता है। किन्तु सरकार को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
श्रीधाणसा नगर में आयोजित, श्री सम्मैतशिखर रक्षा समिति
के द्वारा, विशेष सम्मेलन (उद्बोधन)
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