Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २४- यह कि बिहार सरकार की यह कार्यवाही बिल्कुल अनुचित एवं अवैधानिक २५- यह कि उक्त कार्यवाही से जैनों की धार्मिक स्वतंत्रता का अपहरण हुआ है। उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है एवं उनके धार्मिक अधिकारों को निर्दयतापूर्वक दबोच दिया गया है। २६- यह कि इससे भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के रूप में दी गई धार्मिक स्वतंत्रता का अपहरण हुआ है। २७- यह कि बिहार सरकार की उक्त कार्यवाही का तीव्र विरोध हुआ है। जैनों ने अपने हस्ताक्षरों से कई तार पत्र भेजते हुए बिहार सरकार से अधिकार पुनः देने की माँग की है, किन्तु बिहार सरकार अपने हठाग्रह एवं दुराग्रह पर डटी हुई हैं। २८- यह कि बिहार सरकार ने जहाँ एक ओर हमारे अधिकारों से हमें वंचित किया है, वहीं तीव्र जनमत की माँगों को भी सम्मान देने के लिए उसने कोई त्वरितता नहीं बतलाई। २९- यह कि इस वाद पत्र द्वारा जैन श्वेताम्बर संघ भारतीय जनता से निवेदन करता है कि उसे न्याय दे एवं उसकी निजी सम्पत्ति पारसनाथ हिल्स उसके अधिकार में पुनः देने हेतु बाध्य करे तथा वह नहीं सुनती है तो आगामी आम चुनाव में उसके विरुद्ध एवं उससे सम्बन्धित सम्पूर्ण दल के विरुद्ध वह अपना फैसला सुना दे। - संमैतशिखर रक्षा - विशेषांक - शाश्वत धर्म से १९६४ (पष्ठका आशा है यह सम्मेलन जैनों के अधिकारों की सुरक्षा में सबल सिद्ध होगा एवं श्री सम्मेतशिखर तीर्थ पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मंच तैयार कर सकेगा। यही नहीं जब तक तीर्थ पुन: प्राप्त न हो जाए तब तक जनगण को जागृत एवं प्रेरित करता रहेगा। जय पार्श्वनाथ! जय महावीर!! . - विजय विद्याचन्द्रसूरि दि. २८ सितम्बर ६४ For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71