Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 20
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . : 3000200403808442008 . . . . . . . . ___ कलकत्ता हायकोर्ट का निर्णय पूरा पर्वत सन्मान पूजा के योग्य अब इसमें कोई संदेह नहीं, जैसा कि वादी के साक्षियों ने उनके निरूपण में कहा है कि पारसनाथ पर्वत का प्रत्येक पत्थर पूजा की पवित्र वस्तु है और इसका कारण यह है कि यद्यपि परम्परागत धर्मग्रंथों ने कहा है कि २० तीर्थंकरों तथा अनन्त मुनियों का दल पारसनाथ पर्वत पर मोक्ष गया है। लेकिन इन धर्मग्रंथों में यह नहीं प्रकट किया गया है कि किस स्थान पर उनका निर्वाण हुआ है और उनका पर्वत के किसी भी स्थान पर निर्वाण हो सकता है, अतएव इसका हर भाग पूजन के लिए समान योग्य है। . (कलकत्ता हायकोर्ट के निर्णय से) . . . . . . . . . . - - - - - - . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . । . For Private And Personal

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