Book Title: Sammetshikhar Jain Maha Tirth
Author(s): Jayprabhvijay
Publisher: Rajendra Pravachan Karyalay

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Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MARNAAMANANAMMANORAMANANAINMANOMANNe weeRAMMAMECHNAME 2090805888383805 HERअद्वितीय मोक्षधाम तीर्थराज सम्मेतशिखर - - - मानव जीवन की सफलता मानवीय गुणों के सम्पूर्ण विकास में निहित है। जीवन के बाह्य आचारों में व्यस्त मानव, अपनी आत्म ऋद्धि के सामर्थ्य से अक्सर बेखबर होता है। आत्मज्ञान हेतु उसे गुरु उपदेश, देव दर्शन, पूजन, तीर्थ स्पर्शना तप स्वाध्याय आदि सद्प्रवृत्तियाँ का आलंबन परमावश्यक है, जो तीर्थ भूमि में समुपलब्ध होती है। तीर्थ स्थली की यात्रा में सद्भावों का वृक्ष सुविकसित होता है, यह निर्विवाद है। इसलिए तीर्थों को तरिणी स्वरूप कहा गया है। तीर्थ स्थल के अहालादक पवित्र वातावरण में आत्म शुद्धि सहज होती है। तीर्थ दो प्रकार के स्थावर और जंगम बतलाए गए हैं। ज्ञानवंत सद्गुरु जंगम तीर्थ की गणना में है। स्थावर तीर्थ श्री सम्मेतशिखर, चंपापुरी, गिरनार, पावापुरी सिद्धाचल आदि हैं। स्थावर तीर्थों को तीन भागों में विभक्त किया गया है। १. सामान्य जिन चैत्य, २. अतिशय क्षेत्र, ३. सिद्ध क्षेत्र। सामान्य जिन चैत्य वे मंदिर हैं, जिनमें जिनेश्वर मूर्तियाँ प्रतिष्ठित स्थापित हों। अतिशय क्षेत्र वे तीर्थ कहलाते हैं, जो महान् प्रभावक आचार्यों द्वारा प्रतिष्ठित हों अथवा भगवान के च्यवन, जन्म, दीक्षा और केवलज्ञान कल्याणक का जिन क्षेत्रों को सौभाग्य प्राप्त या जहाँ तक्षण एवं स्थापत्य कला का चरम विकास हुआ हो एवं जिन तीर्थों के प्रभाव सम्बन्ध में विभिन्न लोक गाथाएँ प्रचलित हों। जैसे- कोरंटक, ओसिया, नांदिया, दियाणा, नाणा, अयोध्या, हस्तिनापुर, सिंहपुरी, चन्द्रपुरी, बनारस, आबुजी, राणकपुर, नाकोड़ा, जिरावला, महावीरजी, प्रद्मप्रभुजी, शंखेश्वरजी आदि तीर्थ अतिशय क्षेत्र हैं। सिद्धक्षेत्र निर्वाण, कल्याणक भूमि है। अष्टपदजी, सम्मेतशिखरजी, चंपापुरी, गिरनार, पावापुरी आदि हैं। यहाँ तीर्थंकर मोक्ष गए हैं। निर्वाण भूमि की विशेषता तीर्थों में सर्वोपरी इसलिए मानी गई है कि वहाँ जिनेश्वरों की चरम सिद्धि निष्पन्न होती है। तीर्थंकर भगवन् उत्तमोत्तम पुरुष कहलाते हैं। उनके निर्वाण जाते समय उनका परमौदारिक देह यहीं रह जाता है, जिसके पावन परमाणु यहाँ बिखरे रहने से एवं उनके पवित्र देह का अग्नि संस्कार यहीं For Private And Personal

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