Book Title: Sambodh Saptati Part 01
Author(s): Ratnashekharsuri, Kalyanbodhisuri
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust

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Page 11
________________ रिणाबनायतनवनाए॥५६॥ सातासाचरियादिसविरईचसाव्यङगाएंणाययुमोएससि | सम्म सम्पदिहीशा अहवासचिटावीयरायवियरणाणसारिडंसकमीकालतवितिविज्ञातमा अमाथासक्योअमोएमीतटोसहाय सहयरिणामोनिवासरणगमाश्यायरंडीवो सलययनाचनेधशाबधानसुदापुबंधाना रणामंदतावाबशा तिवणुतावाऊणश्तावेवायसुहानी नरमुबंधापतिबा मंदानाध्याताएछका यहाबुदेहिनिपिसंकिलेसमिदोरतिकालसा प्रकिचिसमिमुगइफलोदशा चवरंगो डिज धम्मानकक्षनरंगसरणमदिनकर्याच रंगवईमानकदादारिखाम्॥६॥ य डी व्यमायमहाशिवीरतदंतमेवश्यग। काएसतिसकमक्का कारण निरसुहागाद शतिश्रीवाशरणपकीसकसमानम्॥ एपेयाश्रीगुदेवायनमनश्रीसरस्वस्पेनमरिन मानमिऊंगतिलोयगुरुंगलोयालोयय्ययास यवीरासंबोदसित्परिमारएमिजारगाहारासेशेवरोग्यशासंबोधाबुछोपदव्यनीवास मतावताविसालदई मुरकनसंदेदो शादसदासरहिनादेवोधम्मोविनिकरणदयसहिवासी गुरुविवरयाशधारसयरिगादाविरमााअन्नाणकोहमयमाणलोहामायारयशरईयानि द्वासोशलियनामापाचौरीयामरतयायाधयागिदपेनलीमायसंगदासाडसरसपदोस कारसवियपणहानमामिदेवादिदेवतापासवादितईनाकमेगडादसायरमिनिवमातातदतगal घ - मूग (५ ११२) पत्र-४, श्री .वाससारसूरि ज्ञानमंदिर (ओगा), सा.क्र६४५३, १/२ सं १८१८ पोष सुE-3 हिने ध्यविश्यमशिना 16 माटे छे. indiane साहकलगाए हुए ह मलगरण रुत्यानमानम नमिणतिलोय लोयालोमा यासयवासासबोहमतरिनरएमिहारंगाहाहाशमयबरे यत्रासंबरच्या बुधायदवनोवा समतावनावियय्याल हरकन संदिदो शब्दसदोसरहिं देवोधम्मोविनिन। गरसदिगासरस्वविवनयात्रारजयरिंगहीविका प्रवाणकादमयमाणलोहमायारईरइटानिदरासर च - मूग (७४) u2-१0, श्री वाससारसूरि ज्ञानमंदिर (डोला), सा.क्र१०५०९, सं. १७33 मार सुE-२ सोमवारे मुनि रामविमला तापीछे.

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