Book Title: Ratnakar Pacchisi Ane Prachin Sazzayadi Sangraha Author(s): Umedchand Raichand Master Publisher: Umedchand Raichand Master View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रत्नाकर शतक दी तथा ग्रन्थ प्रकाशन के निमित्त जो रकम मिली है उसीसे इस ग्रन्थ-माला का कार्य प्रारम्भ किया गया है। हम लोगों ने आचार्य महाराज के नाम पर उनकी स्मृति सर्वदा कायम रखने के लिये इस-ग्रन्थ माला का नाम 'श्री देशभूषण स्याद्वाद ग्रन्थमाला' रखा है। तथा इस ग्रन्थमाना के ग्रन्थों के प्रकाशन के लिये 'श्री स्याद्वाद प्रकाशन मन्दिर पारा' की स्थापना की है। इस ग्रन्थमाला का सर्व प्रथम ग्रन्थ रत्नाकर शतक है, जिसका प्रथम भाग हम पाठकों के समक्ष रख रहे हैं। यह ग्रन्थ चार भागों में प्रकाशित होगा। इसके प्रकाशन का पूरा व्यय श्रीमती चम्पामणि देवी धर्मपत्नी स्वर्गीय श्रीमान् बाबू भानुकुमार चन्द जी ने प्रदान किया है, जिसके लिये हम ग्रन्थमाला की ओर से इस दान की प्रेरणा करनेवाले श्रीमान् बा० नरेन्द्रकुमार जी जैन मैनेजर बैंक ऑफ विहार तथा दान की श्रीमती चम्पामणि देवी को धन्यवाद प्रदान करते हैं। आशा है आप आगे भी जैन साहित्य के सम्बर्द्धन के लिये ऐसी ही उदारता दिखलायेंगी । ___ हम इस सम्बन्ध में विशेष न लिख कर इतना ही और कह देना चाहते हैं कि दि० समाज में श्रीमान् और धीमानों की कमी नहीं। यदि इन दोनों का सहयोग हमें मिलता रहा तो हम अपने उद्देश्य में अवश्य सफल होंगे । स्याद्वाद प्रकाशन मन्दिर आरा का ध्येय केवल दिगम्बर जैन आम्नाय के प्राचीन ग्रन्थों का हिन्दी अनु For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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