Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 01
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रतर-यांमी www.kobatirth.org रिक फोड़ा या फुंसी । शल्य चिकित्मा की कैची । कि० वि० भीतर की ओर उन्मुख । -यांमी-'अंतरजांमी' रत, रति स्त्री० रति क्रिया का एक आसन । लोण, लीन- वि. जो ग्रात्म चिन्तन में लीन हो ध्यानावस्थित। भीतर छुपा हुआ । -वस्त्र- पु० मुख्य वस्त्र के नीचे का वस्त्र । अधोवस्त्र | विकार - पु० भूख-प्यास आदि शारीरिक धर्म ! मन का विकार । , वेग - पु० उत्साह, स्फुति । उमंग। प्रशांति चिता । छींक, पसीना आदि आन्तरिक वेग । ज्वर विशेष । वेदना- स्त्री० अशांति, दुःख, कष्ट पीड़ा। मानसिक कष्ट । -संचारी- - पु० वे अस्थिर मनोविकार जो काव्य में रससिद्धि करते हैं। २ तीर्थ की परि संपाड़ौ, सनांन पु० यज्ञान्त स्नान, प्रवभृत, स्नान । अंतर- अयण पु० १ एक देश का नाम । क्रमा । ३ तीर्थ यात्रा । अंतर-१ देखो 'ग्रांतरों' । २ देखा' अंतरी' । ३ देखो 'अंतर' | अंतरलापिका-स्त्री० यौ० वह पहेली जिसका अर्थ उसी के शब्दों में होता है । अंतरवेद, अंतरवेध-पु०यौ० [सं० अन्तर्वेद | गंगा यमुना के मध्य मथुरा प्रदेश का प्राचीन नाम । अंतरवेदी - पु० [सं०] [अन्तर्वेदी] उक्त प्रदेश का निवासी अंतरसेवी-देखो 'अंतरेवी' | अंतराई, अंतराय स्त्री० [सं० तस्य या अंतराय १ विघ्न, बाधा । २ दूरी, फामला । ३ भेद, भिन्नता ४. समय अवधि ५ दो घटनाओं के बीच का समय अवकाश । | अंतस्थ वि० [सं०] अन्दर की ओर स्थित, भीतरी 1 ६. अड़चन, दिक्कत। ७. योग सिद्धि को नौ बाधाएं व्याधि, स्त्यान प्रमाद, संशय, आलस्य, अविरति भ्रांतिदर्शन, ग्रन्ध भूमिकत्व व अनवस्थित तत्व । = विपन्नावस्था १० आठवां कर्म जो आत्मा के अनन्त वीर्य रूप गुरण का घातक होता है। (जैन) ११ रुकावट रोक १२ मन मुटाव | अंतरायण - वि. नजरबंद, मोह में आबद्ध अंतरायांम पु० एक प्रकार का वात रोग । अंतराळ, अंतराळ- पु० [सं० अन्तरालम् | १ ग्राकाश, नभ । २ घेरा, मंडल । ३. घिरा हुआ या बीच का स्थान या भाग ४ बीच का समय मध्यान्तर । पु० अभ्यंतर । -क्रि० वि० १ बीच में । २ देखो 'यंत्र' | अंतराळ सं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अंतरास देखो 'अंतराय' अंतरि देखो 'अंतर' अंतरिक अंतरिक्ष अंतरिक्ष अंतरिख, अंतरिखि, अंतरिन्छ, अंतरिछ- पु० [सं० अन्तरिक्ष | १ आकाण अन्तरिक्ष | एक केतु ४ एक प्रसिद्ध योगेश्वर २ स्वर्ग ५. ऊंचा स्थान । ६ भूला । - वि० गुप्त, अप्रगट २ अंतर्धान लुप्त 1 अंतरित - वि० १ अन्तर्धान लुप्त । २. भीतर रखा हुआ । ३ ढका हुआ । अंतरी- वि० भीतर की २ मार्मिक कठोर । अंतरीक अंतरीख- देखो 'अंतरिक' अंतरीज - पु० [सं० अंतःकरण | हृदय, अन्तःकरण | अंतरीप पु० [सं०] १ द्वीप, टापू । २ समुद्र में दूर तक गया हुआ पृथ्वी का भाग । अंतरीय पु० [सं०] अधोवस्त्र | अंतरे देखो 'प्रांतरें । अंतरे देखो अंतरिक अंतरेवी जाने वाला टांका। पंति लहंगे की लम्बाई करने के लिये बीच में लगाया अंतरं- देखो 'प्रांतरे । अंतरी- पु० गाये जाने वाले पद का चरण । २ देखो 'प्रांत' देखो 'प्रांतरी ४ देखो 'अंतर' | अंतay - पु० रावण का एक योद्धा । अंतवरण-पु.] शूद्रवर्ण । २ अन्तिम वर्ण या ग्रक्षर । अंतस पु० [सं०] १ हृदय मनःकरण २ चित्तवृति भावना ३ हार्दिक इच्छा ४ बुद्धि | - पु० यरलव वर्ग जो स्पर्श और उष्म वर्गों के बीच के माने जाते हैं । For Private And Personal Use Only अंतकरण पृ०पी० [सं०] अंतकरण १ मा । २ भावना । ३ बुद्धि, विवेक । ८ अन्दर की इन्द्रियां । तहपरिजन, अंतहपरोजन - पु० यौ० अंतःपुर के दास-दासी । अंतहपुर, अंतहपुरग्रह, अंतहपुर, अंतहपुरी-पु०यी | संयंतःपुर | रनिवाम, जनानखाना । अंताक्षरी, अंताखरी स्त्री० [सं० प्रत्याक्षरी | पुर्व पठित उद या कविता के अंतिम वर्ग से अगला पथ प्रारंभ करने की प्रतियोगिता | ताळ, तावळ देख तावदेव उतावळ ति० [सं० [पय] निय 1

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