Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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ग्रन्थ सूची ( भाग २ )
एयडिश्रायत वलक्षण जाण सनियंवद डिम कंची दा करिवि
लिपिड कलर
वरासुर विला मदादीस सामा एथिवरमद करतो बाब
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"मरपवः लिपटी एको
रुपा सतायाठी कसे दिजाय
मशचिताः। मयजगणचय विमा व सुवणिवरधरण
समजाया सदलणं सार्वसिद्ध पलोपि
गणय
संध
शावीसहि
हरवि
सुचियते
या
वादिवामकरेहिलिहा
भगवान् आदिनाथ अपनी दोनों पुत्रियों को पढ़ा रहे हैं ।
[ महाकवि पुष्पदन्तकृत आदिपुराण की एक सचित्र प्रति जयपुर के श्री दिगम्बर जैन मन्दिर वढा तेरपंथियों के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुई है। यह प्रति संवत् १५६७ की है । इसमें ५०० से अधिक चित्र हैं। सभी चित्र सुन्दर एवं कलापूर्ण हैं । ]
☆
कता
परमंडि
रसाद
रोकेर स्वत मेदुर्गसारिमन इहे!! मासापूरक
झाल
समययदेव
भगवान आदिनाथ के सामने अप्सरायें नृत्य कर रही है ।