Book Title: Punya Paap Tattva Author(s): Kanhaiyalal Lodha Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal View full book textPage 7
________________ VI 13. पुण्य-पाप कर्मबंध का मुख्य कारण कषाय है, योग नहीं 14. पुण्य की अभिवृद्धि से पाप का क्षय 15. पुण्य-पाप की उत्पत्ति-वृद्धि-क्षय की प्रक्रिया 16. पुण्य-पाप की बंध - व्युच्छित्ति : एक चिंतन 17. मुक्ति में पुण्य सहायक, पाप बाधक 18. पुण्य के अनुभाग का क्षय किसी साधना से नहीं 19. पुण्य पाप के अनुबंध की चौकड़ी 20. पुण्य-पाप आस्रव का हेतु : शुद्ध - अशुद्ध उपयोग 21. शुभयोग (सद्प्रवृत्ति) से कर्म क्षय होते हैं 22. अनुकम्पा से पुण्यास्रव व कर्मक्षय दोनों होते हैं 23. आत्म-विकास, सम्पन्नता और पुण्य-पाप तत्त्व पुण्य-पाप 24. सम्पन्नता पुण्य का और विपन्नता पाप का परिणाम 25. पुण्य का पालन : पाप का प्रक्षालन 26. पुण्य : सोने की बेड़ी नहीं, आभूषण है 27. पुण्य-पाप विषयक ज्ञातव्य तथ्य ➖➖➖➖➖ - 131 138 143 148 151 161 163 167 181 197 200 210 237 242 244Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 314